Ahmedabad Bomb Blast 2008: 'षडयंत्रकारियों के निशाने पर थे पीएम मोदी, रची गई थी हत्‍या की साजिश'

गुजरात के अहमदाबाद में 2008 में हुए स‍िलसिलेवार बम विस्‍फोटों के लिए 49 दोषियों को सजा सुनाई गई, जिसके बाद इस मामले में मुख्‍य लोक अभियोजक ने कहा कि साजिशकर्ताओं के निशाने पर तब गुजरात के मुख्‍यमंत्री और आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी थे।

अहमदाबाद ब्लास्ट : 'PM मोदी की हत्या की रची गई थी साजिश'
अहमदाबाद ब्लास्ट : 'PM मोदी की हत्या की रची गई थी साजिश' 

अहमदाबाद : गुजरात के अहमदाबाद में 2008 में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के 49 दोषियों को विशेष अदालत ने सजा सुनाई है, जिनमें से 38 को मृत्‍युदंड दिया गया है, जबकि 11 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इस मामले में एक बड़ा खुलासा यह भी सामने आया है कि साजिशकर्ताओं के निशाने पर गुजरात के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री व इस समय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी थे। उन्‍होंने उनकी हत्‍या की साजिश भी की थी।

इस मामले में अदालत द्वारा दोषियों को सजा सुनाए जाने के बाद सरकारी वकील सुधीर ब्रह्मभट्ट ने मीडिया से बातचीत में कहा, षड्यंत्रकारियों ने अशांति पैदा करने के अलावा गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश भी रची थी। 2010 में गुजरात पुलिस की ओर से जो इस मामले में जो आरोप-पत्र दाखिल किया गया था, उससे यह खुलासा हुआ कि दोषियों ने गुजरात के तत्‍कालीन सीएम नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश भी रची थी, जो अब देश के प्रधानमंत्री हैं।

2008 अहमदाबाद ब्लास्ट केस, 38 दोषियों को फांसी की सजा, 11 को उम्रकैद

अभियोजन के अनुसार, अहमदाबाद ब्‍लास्‍ट के लिए विशेष अदालत ने जिन अभियुक्‍तों को दोषी करार दिया है, उनमें से एक ने CRPC की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान में इसे स्‍वीकार किया था कि उन्होंने (विस्‍फोट का षड्यंत्र करने वाले) नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश भी रची थी।

49 दोषियों को दी गई है सजा

मुख्‍य लोक अभियोजक का यह बयान इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत द्वार 49 दोषियों के लिए सजा के ऐलान के बाद आया है। गुजरात के अहमदाबाद में 26 जुलाई, 2008 को 70 मिनट के भीतर 21 सिलसिलेवार विस्फोट हुए थे, जिसमें 56 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इस मामले में अदालत ने मंगलवार को 49 अभ‍ियुक्‍तों को दोषी करार दिया था, जबकि 28 अन्‍य को बरी कर दिया था।

इस मामले में कानूनी कार्यवाही साल 2009 में शुरू हुई थी। पूरी प्रक्रिया के दौरान 1163 लोगों की गवाही ली गई, जबकि अदालत में लगभग 6000 दस्तावेज सबूत के तौर पर पेश किए गए। इस मामले में पुलिस ने 3,47,800 पेज की 547 चार्जशीट तैयार की थी। कोर्ट में सुनवाई के दौरान सात जज बदले गए तो कोविड काल में भी इसकी सुनवाई रोजाना चली। इसके आरोपियों में 3 ऐसे भी रहे जो पाकिस्‍तान भाग गए, जबकि 1 के सीरिया भाग जाने की जानकारी आई।
 

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