नई दिल्ली : राजस्थान कांग्रेस में चल रहे सियासी घमासान के बीच अजय माकन ने बयान दिया है। माकन ने शुक्रवार को कहा कि सचिन पायलट पार्टी के वरिष्ठ एवं मूल्यवान नेता हैं। यह हो नहीं सकता है कि उन्होंने पार्टी के किसी नेता से मिलने के लिए समय मांगा हो और उन्हें समय न दिया गया हो। माकन ने कहा कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उनसे बात की है। प्रियंका के अलावा केसी वेणुगोपाल सहित पार्टी के कई नेता उनसे बातचीत कर रहे हैं। बता दें कि पायलट दिल्ली में छह दिन तक रहे। इस दौरान उनकी मुलाकात प्रियंका गांधी से नहीं हो पाई। पायलट पार्टी के आलाकमान से मिले बगैर बुधवार को वापस जयपुर चले गए।
प्रियंका ने पायलट से बात की है-माकन
माकन ने कहा, 'सचिन पायलट कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के लिए काफी मूल्यवान हैं। यह असंभव है कि पार्टी के किसी नेता से मिलने के लिए वह समय मांगे और उन्हें समय न मिले। प्रियंका गांधी ने उनसे बात की है। पार्टी के अन्य नेता भी उनसे बातचीत कर रहे हैं।'
पार्टी हाई कमान से मिले बगैर जयपुर लौटे पायलट
समझा जाता है कि अपने दिल्ली के प्रवास के दौरान पायलट पार्टी के आलाकमान से मिलकर राजस्थान में उनके समर्थक नेताओं की जो शिकायतें हैं, उन्हें दूर करना चाहते थे लेकिन नेताओं से मुलाकात न होने की वजह से इन समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया। रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पायलट गुट के लिए मुश्किलें खड़ी करते आ रहे हैं।
मंत्रिमंडल में विस्तार चाहते हैं पायलट गुट के नेता
पायलट गुट गहलोत सरकार में मंत्रिमंडल का विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां चाहता है लेकिन मुख्यमंत्री इस दिशा में आगे नहीं बढ़ रहे हैं। पायलट गुट के नेताओं को लगता है कि प्रदेश की राजनीति में उन्हें हाशिए पर रखते हुए उन्हें दरकिनार किया जा रहा है। इससे पायलट समर्थक नेताओं में रोष एवं असंतोष है।
वादों को पूरा नहीं किया गया-वेद प्रकाश सोलंकी
राजस्थान कांग्रेस में जारी संकट के बीच पायलट ने बुधवार को अपने आधिकारिक आवास पर अपने प्रति निष्ठावान नेताओं से मुलाकात की। इसमें उनके करीबी सहयोगी के रूप में उभरे वेद प्रकाश सोलंकी भी शामिल हैं। सोलंकी ने अपनी मांग पूरी न होने और 'गद्दार' कहे जाने पर असंतोष जाहिर किया। उन्होंने कहा, 'हमें गद्दार बुलाकर वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है। वास्तविक मुद्दा यह है कि हमारी बात नहीं सुनी जा रही है। इसमें कैबिनेट का विस्तार प्रमुख मुद्दा है। हमसे जो वादा किया गया उसे पूरा नहीं किया गया है।'
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