नई दिल्ली : कोविड-19 के गहराते संकट के बीच ऑक्सीजन एक बड़ी समस्या के तौर पर सामने आया है। अस्पतालों में इसकी कमी के कारण मरीज दम तोड़ रहे हैं। इसे लेकर देशभर में मारामार की स्थिति है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित देश के कई अन्य हिस्सों में विभिन्न अस्पतालों ने ऑक्सीजन का कमी का हवाला देते हुए मरीजों को भर्ती करने तक से इनकार कर दिया है।
अस्पतालों में आईसीयू बेड और ऑक्सीजन की कमी के कारण बड़ी संख्या में मरीजों का इलाज घर में ही हो रहा है, जहां उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाया जा रहा है। मौजूदा हालात में ऑक्सीजन मेडिकल क्षेत्र में जान बचाने वाली दवा के तौर पर सामने आया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऑक्सीजन का इस्तेमाल सिर्फ मेडिकल क्षेत्र में नहीं होता, बल्कि कई अन्य क्षेत्रों में भी होता है। इन्हें तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है :
मानव शरीर की कोशिकाओं में एरोबिक श्वसन के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। उन लोगों को घर में और अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लीमेंट की आवश्यकता होती है, जिन्हें श्वास संबंधी समस्या होती है।
ऊंचाई वाले इलाकों में पर्वतारोहियों द्वारा कम्प्रेस्ड ऑक्सीजन टैंकों का इस्तेमाल किया जाता है।
सप्लीमेंट ऑक्सीजन की जरूरत मरीजों की सर्जरी के दौरान भी होती है, जिसमें हार्ट-लंग्स मशीन अपना महत्वपूर्ण कार्य जारी रखते हैं।
ऑक्सीजन का इस्तेमाल स्टरलाइजिंग एजेंट के रूप में भी किया जाता है। इसके जरिये कुछ वैक्टीरिया को मारने का काम किया जाता है।
ऑक्सीजन का इस्तेमाल कार्बन को कार्बन डाइऑक्साइड गैस में बदलने के लिए भी होता है। इस्पात उद्योगों में इस तरह का इस्तेमाल होता है। इस प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड के उत्पादन से आयरन ऑक्साइड को कम करने में मदद मिलती है, जिससे अधिक शुद्ध आयरन कंपाउंड तैयार होने में मदद मिलती है।
धातु और उच्च तापमान, से जुड़े अन्य कार्यों के लिए भी ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है, जैसे कि वेल्डिंग टॉर्च आदि।
ऑक्सीजन का उपयोग हाइड्रोकार्बन कंपाउंड्स को डिग्रेड करने के लिए भी होता है, जो गर्म किए जाने से टूट जाते हैं। इसका इस्तेमाल ज्वलन में किया जाता है, जिससे पानी और कार्बन डाइऑक्साइड अलग हो जाते हैं। इससे हाइड्रोकार्बन एसिटिलीन, प्रोपलीन और एथिलीन का उत्पादन भी होता है।
ऑक्सीजन का इस्तेमाल सीवेज-ट्रीटमेंट और वाटर-प्यूरीफिकेशन प्लांट्स में भी किया जाता है। इसके जरिये उन बैक्टीरिया का उत्पादन बढाया जाता है, जिससे पानी में अपशिष्ट उत्पादों को मटैबलाइज करने में मदद करता है।
ऑक्सीजन का इस्तेमाल एयरोस्पेस में भी होता है। तरल रूप में ऑक्सीजन का उपयोग मिसाइलों और रॉकेटों में ऑक्सीडाइजिंग एजेंट के तौर पर किया जाता है, जहां यह लिक्विड हाइड्रोजन के साथ रिएक्ट करता है। इससे मिसाइलों और रॉकेट को टेक-ऑफ करने के लिए जरूरी ऊर्जा का उत्पादन होता है। अंतरिक्ष यात्रियों के स्पेससूट में भी ऑक्सीजन का इस्तेमाल होता है।
ऑक्सीजन गैस (O2) का इस्तेमाल उन चीजों में ऊर्जा उत्पादन के लिए होता है, जो विद्युत आपूर्ति से सीधे नहीं जुड़े होते, जैसे- जनरेटर और जहाज, हवाई जहाज और कार जैसे वाहन)
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