गृहमंत्री अमित शाह ने बंगाल के बीजेपी नेताओं को साफ साफ कह दिया कि हर मुद्दे के लिए केंद्र की तरफ ना देखें और हर समय केंद्र के दखल का इंतजार ना करें और बंगाल के सियासत की लड़ाई खुद अपने आप लड़े। विधानसभा चुनाव के एक साल बाद अपने दो दिवसीय बंगाल दौरे पर कोलकाता में गृहमंत्री अमित शाह ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी करने और बेहतर प्रदर्शन करने का लक्ष्य दिया।
शाह का मैरॉथन मंथन
करीब एक साल बाद कोलकाता आये अमित शाह ने शुक्रवार शाम बंगाल भाजपा के पदाधिकारियों, सांसदों और विधायकों के साथ करीब ढाई घंटे तक बैठक की। बैठक में पार्टी के संगठन महामंत्री बी एल संतोष भी मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक गृहमंत्री अमित शाह ने बंगाल के नेताओं को साफ-साफ कह दिया उन्हें अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ेगी। विधानसभा चुनाव भले ही हार गए लेकिन हिम्मत हारने की जरूरत नहीं है और हर समय केंद्र की तरफ देखने की बजाए खुद को मजबूत करें और सीधे अपनी लड़ाई लड़े । नसीहत देते हुए अमित शाह ने बंगाल के नेताओ को कहा कि हर बात के लिये दिल्ली की तरफ देखने की आदत छोड़ दीजिए। कार्यकर्ताओ को संदेश दीजिये की पूरी पार्टी उनके साथ है।
बंगाल बीजेपी टीम की तरह करे काम
अमित शाह ने एक बात और साफ कर दी कि बंगाल बीजेपी के नेता एक टीम की तरह काम करे , आपस मे मतभेद भुलाकर सब साथ मिलकर एक टीम की तरह टीएमसी के खिलाफ लड़ाई लड़े। अमित शाह ने ये भी कहा कि जैसे टीएमसी ने लेफ्ट के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी है उसी तरह से आपको लड़नी पड़ेगी । पार्टी नेताओं को अमित शाह ने भी नसीहत दी कि बंगाल की जनता से सीधा संवाद करे और संपर्क बनाए। चुनाव हारने के ये मतलब नही की जनता से संपर्क ना हो। आप सभी जनता के बीच जाए और उनके मुद्दे उठाए।
इससे पहले काशीपुर में भारतीय जनता युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष अर्जुन चौरसिया की हत्या के बाद उनके परिवार वालों से अमित शाह मिले और प्रदेश में सियासी हत्या को लेकर ममता बनर्जी को कटघरे में खड़ा करते हुए अमित शाह ने कहा कि बंगाल में राजनीतिक हत्या का दौर खत्म नही हो रहा। दरअसल पिछले साल विधानसभा चुनाव हार के बाद पार्टी से कुछ लोग लगातार टीएमसी वापस जा रहे हैं तो दूसरी तरफ पार्टी के भीतर भी यानी बंगाल बीजेपी में भी नेताओं की खींचतान तेज होने लगी है।
दिलीप घोष और सुकांत मजूमदार में अनबन की खबरें
पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष और सुकांत मजूमदार के बीच अनबन जगजाहिर है तो दूसरी तरफ शुभेंदु अधिकारी को विपक्ष के नेता बनाए जाने के बाद उनके कामकाज के तरीकों को लेकर भी बीजेपी के भीतर आपत्ति है ।इसके अलावा पार्टी में आये टीएमसी नेता और पुराने बीजेपी नेताओं के बीच भी मतभेद समय समय पर सामने आते रहे हैं । इन्ही मतभेदों को दूर करने और पार्टी में नई जान फूंकने के लिए अमित शाह ने पार्टियों को आपसी मतभेद भुलाकर मिशन 2024 में जुटने को कहा। अगले साल पंचायत का चुनाव है और फिर 2024 में लोकसभा चुनाव अमित शाह की नजर पंचायत चुनाव में बीजेपी को मजबूती से वोट शेयर बढ़ाना म और 2019 लोकसभा चुनाव नतीजों से बेहतर प्रदर्शन 2024 में करना है।
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