केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को तेलंगाना में 75वें हैदराबाद मुक्ति दिवस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस मौके पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी और केन्द्रीय गृह सचिव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस खास मौके पर अमित शाह ने कहा कि 15 अगस्त, 1947 के दिन जब पूरा देश आजादी का उत्सव मना रहा था लेकिन हैदराबाद को आजादी नसीब नहीं हुई थी। 13 महीनों तक निजाम के अन्यायों और अत्याचारों को यहां के लोग सहन करते रहै और उसके बाद जब सरदार पटेल ने पुलिस एक्शन लिया तब तेलंगाना स्वतंत्र हुआ था। तेलंगाना के सीएम केसीआर का नाम लिए बिना केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कई सालों से यहां के लोगों की मांग थी कि हैदराबाद मुक्ति दिवस को सरकारी तौर पर मनाया जाए। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि 75 सालों में भी जिन्होंने यहां शासन किया उन्होंने वोट बैंक की राजनीति के कारण हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाने का साहस नहीं किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना के लोगों के मन की भावना समझते हुए हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाने का निर्णय लिया और इसके लिए मोदी जी को बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई।
अमित शाह ने कहा कि हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाने का उद्देश्य इस मुक्ति संग्राम के इतिहास और जाने-अनजाने शहीदों की गाथाओं को युवा पीढ़ी के मन में पुनर्जीवित कर उनके मन में देशभक्ति की लौ जगाना है। इससे हमारी नई पीढ़ी में देशभक्ति की भावना पुनर्जीवित होगी। शाह ने ये भी कहा कि लौह पुरूष सरदार पटेल ने ऑपरेशन पोलो का निर्णय कई कठिनाइयों के बावजूद लिया और इस क्षेत्र को आजाद कराकर अखंड भारत के स्वप्न को पूरा किया। वे लौह पुरूष सरदार पटेल ही थे जिन्होंने निज़ाम की सेना को पुलिस एक्शन से परास्त करके इस पूरे क्षेत्र के लोगों को आज़ादी की सांस लेने का अधिकार दिया था।
शाह ने आज सरदार पपन्ना गौड़, तुर्रेबाज़ खान, अलाउद्दीन, भाग्य रेड्डी वर्मा, पंडित नरेंद्र आर्य, वंदेमातरम रामचंद्र राव, शोयबुल्ला खान, मोगिलिया गौड़, डोड्डी कोमारैया, चकली इलम्मा के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने विषेश रूप से बहादुर स्वतन्त्रता सेनानियों नारायण राव पवार, जगदीश आर्य और गंदैया आर्य को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने निज़ाम के सुरक्षा बलों का मुक़ाबला करते हुए सर्वोच्च बहादुरी का प्रदर्शन किया। केन्द्रीय गृह मंत्री ने 15 अगस्त 1947 को उस्मानिया विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाले देशभक्तों को भी नमन जिन्हें निजाम की सेना ने गिरफ्तार कर लिया था। उन्होंने कहा कि कई संगठनों ने आजादी की इस जंग में अपना योगदान दिया था। चाहे, आर्य समाज, हिन्दू महासभा का भागानगर सत्याग्रह हो या फिर उस्मानिया यूनिवर्सिटी में छेड़ा गया वन्दे मातरम आन्दोलन हो। गांधी जी द्वारा स्थापित हैदराबाद स्टेट कांग्रेस और बीदर क्षेत्र के किसानों द्वारा उस समय के संघर्ष के लोकगीत आज भी गाए जाते हैं।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज ही के दिन 1948 में तेलंगाना, मराठवाड़ा और कल्याण कर्नाटक स्वतंत्र हुए और 13 से 17 सितंबर, 1948 केदौरान 109 घंटों के संघर्ष में अनेक वीर यहां शहीद हुए। उन्होंने कहा कि निजाम और उसके रजाकारों ने कई प्रकार के कठोर कानून लगाकर, असहनीय अन्याय और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करके तीनों राज्यों की जनता को कुचलने का प्रयास किया था। इन कुकृत्यों और अत्याचारों के खिलाफ हमारे लोगों ने आंदोलन किया था और अंत्तोगत्वा हम विजयी हुए। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने हैदराबाद मुक्ति दिवस को संपूर्ण शासकीय आदेश के अंतर्गत मनाने का निर्णय लेकर हैदराबाद मुक्ति आंदोलन को स्वीकृति और श्रद्धांजलि देने का काम किया है।
अमित शाह ने कहा कि इस महान तेलंगाना राज्य की रचना जिस उद्देश्य से हुई है, सत्ता मे आकर इन उद्देश्यों को जो लोग भूल जाते हैं, जनता भी उन्हें भूल जाती है। उन्होंने कहा कि आज मोदी जी ने जो परंपरा शुरू की है, हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाने की, इसे हैदराबाद को स्वतंत्र करने वाले सभी स्वतंत्रता सेनानियों के शहीदों के सम्मान में इससे भी ज्यादा जोर शोर से अनेक सालों तक मनाया जाएगा। शाह ने कहा कि जिस तरह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पूरे देश को सुरक्षित और विकसित किया है, भारतीय और भारतीयता को उच्चतम शिखर पर बिठाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं और देश के सभी शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं,वो उपक्रम निश्चित रूप से जारी रहेगा और हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाना भी निश्चित रूप से जारी रहेगा।
इस आजादी के लिए कोमाराम भीम, रामजी गोंड, स्वामी रामानंद तीर्थ, एम चिन्नारेड्डी, नरसिम्हा राव, शाइक बंदगी, के वी नरसिम्हा राव, विद्याधर गुरु और पंडित केशवराव कोरटकर जैसे अनगिनत लोगों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर किया था। उन्होंने कहा कि हम श्रद्धापूर्वक अनाभेरी प्रभाकरी राव, बद्दम येल्ला रेड्डी, रवि नारायण रेड्डी, बुरुगुला रामकृष्ण राव, कलोजी नारायण राव, दिगंबरराव बिंदु, वामनराव नाइक, आ. कृ. वाघमारे, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बी. रामकृष्ण राव को याद करते हैं जिन्होंने निजाम के विरुद्ध विद्रोह की लौ जलाई। श्री शाह ने कल्याण कर्नाटक के कई नेताओं को नमन किया जिन्होंने निजामों के विरुद्ध संघर्ष किया और रजकार सेना के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष किया। इनमें बीदर के पूर्व सांसद रामचंद्र वीरप्पा, जेवर्गी के सरदार शारंगौडा पाटिल, रायचूर के एम. नागप्पा, शिवकुमारस्वामी अलवंडी, जो बाद में कोप्पल से लोक सभा सदस्य बने, कनकगिरी के जयतीर्थ राजपुरोहित, यादगीर के कोलुर मल्लप्पा, कराटागी के बेनकाल भीमासेनराव और कई अन्य लोग शामिल हैं।
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