Liberation Day and KCR vs Amit Shah: तेलंगाना की सियासत में ये तारिख काफी अहम है क्योंकि मौका है तेलंगाना की आजादी के 75 साल पूरे होने का। ये वो तारिख है जिसने केंद्र और राज्य सरकार को अलग- अलग नाम, अंदाज, तौर तरीकों से इस दिन को मानाने के लिए मजबूर कर दिया है। 1948 में हैदराबाद को निज़ामों के शासन से रिहाई के बाद भारत में शामिल किया गया था। BJP आज़ादी के अमृत महोत्सव' के तहत हैदराबाद की आज़ादी' के 75 साल को मुक्ति के तौर पर मना रही है। केंद्र सरकार 17 सिंतबर को'हैदराबाद मुक्ति दिवस' मना रही है तो राज्य सरकार इसे 'तेलंगाना एकता दिवस' का नाम दे रही है।
केंद्र और राज्य सरकार दोनों तरफ से तिरंगा फहराया जाएगा समारोह की तैयारी है। गृह मंत्री अमित शाह हैदराबाद पहुंच चुके हैं। गृहमंत्री अमित शाह सिकंदराबाद में आर्मी परेड ग्राउंड शिरकत करेंगे जहां दो पड़ोसी राज्यों कर्नाटक और महाराष्ट्र को निमंत्रण भेजा गया है। कार्यक्रम में सीएम बसवराज बोम्मई और एकनाथ शिंदे, दोनों ही शामिल होंगे। कार्यक्रम में तेलंगाना के CM KCR को भी न्योता भेजा गया था, लेकिन उनके अन्य कार्यक्रम तय हैं। वह राष्ट्रीय एकता दिवस मनाने के लिए अपनी ही सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। सीएम केसीआर ने जूनागढ़ के बहाने बीजेपी की मंशा पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा- BJP 9 नवंबर, 1947 को जूनागढ़ के भारत में विलय का जश्न क्यों नहीं मनाती है, और सिर्फ हैदराबाद पर ही ध्यान केंद्रित करती है।
Hyderabad Liberation Day: असदुद्दीन ओवैसी बोले- लिबरेशन शब्द गलत कोई और शब्द हो इस्तेमाल
हैदराबाद मुक्ति दिवस के बहाने बीजेपी निज़ामों के अत्याचार के मुद्दे पर चोट कर रही है तो वहीं बात जब हैदराबाद और निज़ाम की हो तो AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का बयान आना बनता था। हैदराबाद मुक्ति दिवस' से पहले उन्होंने तिरंगा बाइक रैली की। रैली के मंच से हैदराबादी भाईजान ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला। हालांकि इस कार्यक्रम से पहले भी ओवैसी ने भी केंद्र और राज्य सरकार को पत्र लिखकर इस दिन को "राष्ट्रीय एकता दिवस" के रूप में मनाने के लिए कहा था।
जहां ओवैसी का निशाना हैदराबाद औ निज़ाम के ज़रिए बीजेपी की हिंदूवादी छवि की पार्टी पर है तो वहीं बीजेपी, केसीआर सरकार भी इस मुद्दे पर अपने राजनैतिक नफे नुकसान देख रही है और इसी लिहाज़ से अमित शाह का दौरा अहम माना जा रहा है क्योंकि तेलंगाना में अगले साल 2023 के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसीलिए राज्य सियासी अखाड़ा बना हुआ है। 17 सिंतबर हो या तेलंगाना मुक्ति दिवस या फिर राष्ट्रीय एकता दिवस नाम चाहे जो हो पर तस्वीरों में दिख रही कोशिश 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए है।
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