चेतावनी के बाद भी कश्मीर के युवाओं को भड़का रहे थे मौलवी- पुलिस का दावा, लगा PSA

हाल के दिनों में कश्मीर में टारगेट कीलिंग के तहत मामले बढ़ गए हैं। इसके तहत चरमपंथी गैर मुस्लिम और राज्य के बाहरी लोगों को निशाना बना रहे हैं।

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तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • कश्मीर में सेना और पुलिस मिलकर युवाओं को सही रास्ते पर लाने की कर रही है कोशिश
  • इन्हीं कोशिशों को नाकाम करने में लगे थे मौलवी
  • अब मौलवी समेत छह को पुलिस ने किया गिरफ्तार

कश्मीर में युवाओं को भड़काने के मामले में एक मौलवी समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन पर आरोप है कि कई चेतावनियों के बावजूद ये लोग युवाओं को भड़का रहे थे।

कश्मीर के एडीजी विजय कुमार ने रविवार को कहा कि कड़े जन सुरक्षा कानून (PSA) के तहत गिरफ्तार मौलवी कई चेतावनियों के बावजूद युवाओं को भड़काते रहे हैं। उन्होंने कहा- "हमारे पास पर्याप्त सबूत थे और इसीलिए हमने उन्हें कई बार फोन किया और उन्हें मनाने की कोशिश की कि वे युवाओं और लोगों को न भड़काएं। जब वे नहीं रुके, तो उन पर पीएसए के तहत मामला दर्ज कर लिया गया।"

दरअसल पिछले कुछ दिनों में कश्मीर में मौलवी समेत करीब आधा दर्जन लोगों पर पीएसए के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया गया है। एडीजी ने कहा कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो मीडिया के साथ सबूत शेयर किए जाएंगे। 

इस दौरान जब एडीजी से पूछा गया कि क्या कोई और मौलवी पुलिस के रडार पर हैं? तो उन्होंने कहा कि पुलिस के पास दूसरों के खिलाफ सबूत हैं और वह उसी के अनुसार कार्रवाई करेगी।

उन्होंने कहा- "हमारे पास पीएसए के अलावा कई तरीके हैं। हम उन्हें बुलाते हैं और उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं। अगर वे नहीं समझते हैं तो हम कार्रवाई करते हैं... पीएसए अंतिम उपाय है।"

बता दें कि कश्मीर में फिलहाल राज्यपाल का शासन है। सरकार भटके हुए युवाओं को मुख्यधारा में लाने की कोशिश कर रही है, लेकिन इन मौलवियो ंके कारण इसमें उतनी सफलता नहीं मिल रही है। ये सरकार के खिलाफ युवाओं को भड़काते रहते हैं, जिससे युवा आतंकी बनने के रास्ते पर निकल पड़ते हैं।

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