जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्यवाही जारी है। पिछले 9 दिनों में 9 एनकाउंटर में 13 आतंकी मारे गए हैं। लेकिन शुक्रवार को श्रीनगर के ईदगाह इलाके और पुलवामा से परेशान करने वाली खबर आई। आतंकियों ने ईदगाह इलाके में एक गोलगप्पे वाले को गोली मार दी और उसकी पहचान बिहार के अरविंद कुमार साह के तौर पर हुई। दूसरे शख्स सगीर अहमद की हत्या पुलवामा में आतंकियों ने की जो यूपी के सहारनपुर के रहने वाले थे। इससे पहले बिहार के रहने वाले वीरेंद्र पासवान की हत्या की थी। वीरेंद्र पासवान भी गोलगप्पा बेचने का काम करते थे।
पिता का छलका दर्द
अरविंद कुमार साह के पिता कहते हैं "वह तीन महीने पहले जम्मू-कश्मीर गया था। आखिर उनके बेटे की गलती क्या थी। उसकी तो किसी से दुश्मनी नहीं थी। वो तो परिवार का पेट पालने के लिए कश्मीर गया था। लेकिन उन्हें नहीं पता था कि इस तरह की खबर मिलेगी।अरविंद कुमार साह का परिवार गम में है, इलाके के लोग परिवार को सांत्वना देने आ रहे हैं। बिहार सरकार ने अरविंद कुमार साह के परिवार को 2 लाख रुपए मुआवजा देने का फैसला किया है।
उजड़ गई दुनिया
अरविंद कुमार साह के पिता का कहना है कि उनका बेटा इकलौता कमाने वाला था। उसकी ख्वाहिश थी कि ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाकर वो अपने परिवार की जरूरतों को पूरी कर सके। लेकिन उनका सबकुछ उजड़ गया। उन्होंने कहा कि सरकार आतंकियों के खिलाफ और सख्त कार्रवाई करे ताकि किसी और का लाल असमय जान न गवाए। अब सवाल यह है कि आतंकी बाहर के लोगों को निशाना क्यों बना रहे हैं।
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि अनुच्छेद 370 के खत्म होने के बाद आतंकियों में बौखलाहट है, स्पेशल राज्य का दर्जा समाप्त होने के बाद जिस तरह से प्रशासन जमीनी स्तर पर सक्रिय होकर विकास योजनाओं को अंजाम दे रहा है उससे आतंकी तंजीमों को लगता है कि वो आमजन का विश्वास खो देंगे, लिहाजा वो इस तरह की कार्रवाई को अंजाम दे रहे हैं ताकि समाज के आपसी भाईचारे को खत्म किया जा सके। इसके साथ ही जिस मकसद को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने निर्णय लिया उसे ध्वस्त किया जा सके।
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