नई दिल्ली : असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को कहा कि हर कोई यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) चाहता है। कोई भी मुस्लिम महिला नहीं चाहती कि उसका पति 3 अन्य पत्नियों को घर लाए। किसी भी मुस्लिम महिला से पूछो। उन्होंने कहा कि यूसीसी मेरा मुद्दा नहीं है, यह सभी मुस्लिम महिलाओं का मुद्दा है। अगर उन्हें इंसाफ देना है तो तीन तलाक को खत्म करने के बाद यूसीसी लाना होगा।
असम सीएम ने कहा कि असम में मुस्लिम समुदाय का एक धर्म है लेकिन संस्कृति और मूल के 2 अलग-अलग वर्ग हैं। उनमें से एक असम का मूल निवासी है और पिछले 200 वर्षों में प्रवास का कोई इतिहास नहीं है। वह वर्ग चाहता है कि उन्हें विस्थापित मुसलमानों के साथ न मिला दिया जाए और उन्हें एक अलग पहचान दी जाए।
उपसमिति का गठन कर रिपोर्ट प्रस्तुत की। लेकिन यह सब कमेटी की रिपोर्ट है, सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। यह भविष्य में निर्णय लेगा कि कौन स्वदेशी मुसलमान है और कौन प्रवासी मुसलमान। असम में इसका कोई विरोध नहीं है। वे अंतर जानते हैं, इसे आधिकारिक रूप देना होगा।
असम के सीएम एचबी सरमा से जब राज्य की सीमा के मुद्दे पर अरुणाचल के सीएम के साथ उनकी पिछली बैठक के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा किबैठक पहले ही हो चुकी है। अब जिला कमेटी बनानी है। यह अगले 2 महीनों में मैदान में उतरेगा और फिर हम इस मुद्दे को गांव-गांव हल करना शुरू कर देंगे।
बारपेटा कोर्ट द्वारा जिग्नेश मेवाणी की जमानत पर असम के सीएम एचबी सरमा ने कहा कि मुझे मामले के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। महिला पुलिस इंस्पेक्टर पर मारपीट/दुर्व्यवहार करने की शिकायत की गई थी। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। बारपेटा सत्र अदालत ने फैसला दिया। उसने अब मुझे पत्र लिखकर बारपेटा सत्र न्यायालय के फैसले के खिलाफ गुवाहाटी हाईकोर्ट जाने की अनुमति मांगी है। फाइल मेरे पास आ गई है और अगर मैं इजाजत देता हूं तो वह हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।
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