नई दिल्ली: असम सरकार ने अपने कर्मचारियों को फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर 'राजनीतिक गतिविधियों में लिप्त रहने और भाग लेने' पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हाल में हुए विरोध-प्रदर्शन के बीच ये फैसला लिया गया है। सदौ असोम कर्मचारी परिषद ने हाल ही में हड़ताल का आह्वान किया था। राज्य सरकार के कर्मचारियों ने काम रोक दिया, जिससे सरकारी कामकाज प्रभावित हुआ।
प्रारंभिक शिक्षा निदेशक, असम के कार्यालय ने 24 दिसंबर को सभी जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारियों को एक पत्र जारी किया, जिसमें अनुबंधित श्रमिकों सहित सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई, जो असम सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1964 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं और असंतोष व्यक्त करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं।
असम में सीएए के खिलाफ आंदोलन में शिक्षक और छात्र सबसे आगे रहे, जो हिंसक हुआ। इसमें पुलिस की गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई। दो अन्य को भीड़ द्वारा जिंदा जला दिया गया।
असम के लोग, जिन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन किया, उन्हें डर था कि इससे मुख्य रूप से बांग्लादेश के अवैध बंगाली हिंदू प्रवासियों को फायदा होगा, जो राज्य भर में बड़ी संख्या में बसे हैं। असमियों को यह भी डर है कि अगर बंगलाभाषी हिंदू बांग्लादेशियों को नागरिकता दी जाती है, तो वे राज्य में असमिया भाषी लोगों को पछाड़ देंगे।
इस कानून के खिलाफ सिर्फ असम ही नहीं बल्कि देश के कई हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन हुए। कई जगह प्रदर्शन हिंसक हो गया। कई लोगों की जान भी इसमें गई। कानून को लेकर सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने के लिए पुलिस ने कई लोगों पर भी कार्रवाई की।
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