नई दिल्ली : सियाचिन ग्लेशियर में हुए हिमस्खलन में सेना के 4 जवानों की मौत हो गई है। इनके अलावा 2 पोर्टर की भी मौत हो गई है। भारतीय सेना की तरफ से जानकारी दी गई कि 19,000 फीट की ऊंचाई पर सियाचिन ग्लेशियर के उत्तरी क्षेत्र में सक्रिय आठ कर्मी आज हिमस्खलन की चपेट में आ गए। आस-पास के स्थानों से हिमस्खलन बचाव दल स्थान पर पहुंचे। सभी 8 कर्मियों को हिमस्खलन के मलबे से बाहर निकाला गया। चिकित्सा दलों के साथ गंभीर रूप से घायल हुए 7 लोगों को हेलीकॉप्टरों द्वारा नजदीकी सैन्य अस्पताल में पहुंचाया गया। अत्यधिक हाइपोथर्मिया के कारण 4 जवानों सहित 6 लोगों की मौत हो गई।
हिमस्खलन की यह घटना उत्तरी ग्लेसियर में 19,000 फीट की ऊंचाई और उससे ऊपर के स्थानों पर हुई है। सेना ने बताया कि बर्फ में दबे जवान गश्ती दल का हिस्सा थे और जब वे गश्ती पर थे तो इसी दौरान वे इसकी चपेट में आ गए। यह घटना शाम साढ़े तीन बजे की है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सियाचिन में जवानों की मौत पर दुख जताया है और साथ ही बेहद दुर्गम परिस्थितियों में ग्लेशियर पर टिके जवानों को सैल्यूट भी किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, 'सियाचिन में हिमस्खलन के कारण सैनिकों और पोर्टरों के निधन से गहरा दुख हुआ। मैं उनके साहस और राष्ट्र की सेवा को सलाम करता हूं। उनके परिवारों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना।'
सूत्रों ने बताया कि पोर्टर्स सहित गश्त करने वाली पार्टी एक अन्य व्यक्ति को निकाल रही थी, जो अपनी पोस्ट पर बीमार पड़ गया था।
सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र है और यहां दुश्मन की गोलीबारी की तुलना में क्षेत्र में मौसम और इलाके से संबंधित घटनाओं में अधिक सैनिक मारे गए हैं। सियाचिन ग्लेशियर पर 1984 से भारत का नियंत्रण रहा है और भारत इसे लद्दाख के लेह जिले के अधीन प्रशासित करता है। सर्दियों के मौसम में यहां जवानों का सामना अक्सर बर्फीले तूफान और भू-स्खलन से होता है। पारा भी जवानों का दुश्मन बनता है और इलाके में तापमान शून्य से 60 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है।
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