'सर तन से जुदा' स्लोगन इस्लाम के खिलाफ, पीएफआई जैसे संगठनों पर लगे बैन

इंटर फेथ रेलिजन की बैठक में सभी धर्मगुरुओं ने कहा कि देश में सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ाने के लिए बंद कमरों की जगह जमीन पर उतरने की जरूरत है।

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सैय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती, इस्लामिक स्कॉलर 
मुख्य बातें
  • सांप्रदायिक सौहार्द के लिए धर्मगुरु जमीन पर उतरें
  • पीएफआई जैसे संगठनों पर भारत सरकार लगाम लगाए
  • भारत की समरसता में सर तन से जुदा जैसे बयान घातक

हाल ही में दो तीन घटनाओं से देश में माहौल असहज हो चला था। सर तन से जुदा के नाम पर उदयपुर में कुछ कट्टरपंथियों ने कन्हैया लाल की हत्या कर दी थी। इसके साथ ही देश के अलग अलग हिस्सों में जब कुछ लोगों ने नूपुर शर्मा के पोस्ट के समर्थन में कुछ बात कही तो उन्हें धमकियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ। देश में सांप्रदायिक सौहार्द को कायम रखने के लिए और बढ़ावा देने के लिए अंतर धार्मिक संगठनों की बैठक हुई जिसमें एनएसए अजीत डोभाल भी शामिल हुए।

तालिबानी सोच को परास्त करने की आवश्यकता
ऑल इंडिया सूफी सज्जादनशीं काउंसिल की तरफ से आयोजित बैठक में हजरत सैय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि सर तन से जुदा स्लोगन एंटी इस्लामिक है। यह तालिबानी सोच है, इसका मुकाबला करने के लिए बंद कमरों की जगह खुले में आकर लड़ाई की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पीएफआई हो या इसकी तरह कोई और संगठन उनके खिलाफ भारत सरकार को बैन लगाना चाहिए। 

एनएसए अजीत डोभाल ने क्या कहा
एनएसए अजीत डोभाल ने कहा कि अल्पसंख्यक समाज को लगता है कि वो महज छोटी सी आवाज है। लेकिन ऐसी बात नहीं, समाज के प्रबुद्ध लोगों को आगे आकर अहसास कराना होगा कि वो लोग देश के लिए कितने मुल्यवान है। कुछ ताकतें हैं जो देश में हमेशा अशांति फैलाने की फिराक में रहती हैं। लेकिन इसके लिए धार्मिक संगठनों को आगे आने की जरूरत है। देश को ताकतवर बनाने की कड़ी में समाज के हर वर्ग का योगदान है चाहे वो ताकत छोटी हो या बड़ी

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