जंगल महल की ओर ममता बनर्जी, क्या BJP से करा पाएंगी आदिवासी वोटों की 'घर वापसी'

देश
आलोक राव
Updated Jan 21, 2021 | 14:09 IST

परंपरागत रूप से राज्य का आदिवासी समुदाय लेफ्ट पार्टी का वोट बैंक रहा है। लेफ्ट पार्टियों के कमजोर पड़ने के बाद इस समुदाय का अच्छा-खास वोट टीएमसी को मिलता रहा है।

Battle for Bengal: Can Mamata ensure gharwapsi of tribal votes from BJP?
जंगल महल आदिवासी बहुल इलाका है।  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • पश्चिम बगाल में विधानसभा की 294 सीटों के लिए अप्रैल-मई में होगा चुनाव
  • राज्य में इस बार मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और टीएमसी के बीच
  • पिछले कुछ समय से राज्य में तेजी से फैला है भाजपा, टीएमसी की चिंता बढ़ी

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करेंगे। इस राज्य को जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रतिष्ठा का विषय बना लया है और चुनाव तैयरियों में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को कमजोर करने के लिए भगवा पार्टी ममता सरकार को चौतरफा घेरने में जुटी है। हालांकि, भाजपा की इस आक्रामक रणनीति एवं चुनौती से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी घबराई नहीं हैं। उन्होंने भाजपा की चुनौती स्वीकार की है और उसे उसी के लहजे में जवाब दे रही हैं। 

इस बार ममता को भाजपा से मिलेगी कड़ी टक्कर
ममता बनर्जी के लिए 2021 का चुनाव आसान नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीतने के बाद भाजपा ने तेजी के साथ राज्य में अपना जनाधार बढ़ाया है। टीएमसी के नेता भाजपा में शामिल हुए हैं। उससे ममता बनर्जी को कड़ी चुनौती मिलती दिख रही है। अपना वोट बैंक बचाए रखने के लिए ममता राज्य का लगातार दौरा कर रही हैं और अपनी सरकार के कामकाज और उपलब्धियों को गिना रही है। टीएमसी प्रमुख की नजर राज्य के आदिवासी समुदाय के वोटों पर है। 

लेफ्ट का परंपरागत वोट रहे हैं आदिवासी 
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने आदिवासी वोटों में सेंधमारी करने में सफल हो गई थी। परंपरागत रूप से राज्य का आदिवासी समुदाय लेफ्ट पार्टी का वोट बैंक रहा है। लेफ्ट पार्टियों के कमजोर पड़ने के बाद इस समुदाय का अच्छा-खास वोट टीएमसी को मिलता रहा है लेकिन पिछले कुछ समय से भाजपा ने मटुआ समुदाय, ईसाई आदिवासी एवं गैर-आदिवासियों के बीच अपनी अच्छी पैठ बना ली है। यह बात कहीं न कहीं ममता बनर्जी को परेशान करने लगी है। आदिवासी समुदाय को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए ममता ने राज्य के आदिवासी इलाकों का दौरा किया है। 

आदिवासी बहुल है जंगल महल इलाका
गत मंगलवार को उन्होंने पुरुलिया और इससे एक दिन पहले उन्होंने बांकुड़ा जिले में सभाएं कीं। ये दोनों जिले नक्सलियों के गढ़ रहे जंगल महल का हिस्सा हैं। साल 2011 के जनसंख्या के आंकड़े के मुताबिक राज्य. में आदिवासी समुदाय की आबादी 52,96,963 है जो कि राज्य के कुल आबादी की 5.8 प्रतिशत है। ये आबादी मोटे तौर पर जंगल महल के चार जिलों-पुरुलिया, बांकुड़ा, पश्चिमी मिदनापुर, झाड़ग्राम और उत्तर बंगाल के जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार एवं कूच बिहार जिलों में बसी हुई है। इसके अलावा हुगली एवं बीरभूम जिलों में भी आदिवासी समुदाय की आबादी अच्छी खासी है। 

आदिवासी वोटों पर है भाजपा की नजर
कुछ समय पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बांकुड़ा जिले में एक आदिवासी परिवार के घर भोजन किया। भाजपा खुद को आदिवासी संस्कृति के साथ जोड़कर उन तक अपनी पहुंच बना रही है। इस बात ने ममता बनर्जी को परेशान किया है। अब वह इन स्थानों का दौरा कर अपने नुकसान की भरपाई करना चाहती हैं। आदिवासी परिवारों के साथ भाजपा नेताओं के भोजन किए जाने को ममता ने चुनावी स्टंट करार दिया है। मुख्यमंत्री का कहना है कि उन्होंने आदिवासी समुदाय के लिए पक्के मकान बनाकर दिए हैं और उनके लिए मुफ्त राशन की व्यवस्था की है। आदिवासियों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए ममता अपनी सभाओं में भावनात्मक मुद्दों को भी उभार रही हैं। उन्होंने 15 नवंबर (बिरसा मुंडा की जयंती) के दिन राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग की है। 

आठ में से 5 सीटें भाजपा ने जीतीं 
राज्य की विधानसभा की 294 सीटों में से 84 सीटें एससी और एसटी के लिए आरक्षित हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव पुरुलिया, पश्चिमी मिदनापुर, झाड़ग्राम, बांकुड़ा और बीरभूम भाजपा के लिए अच्छा समर्थन दिखा। यहां आठ में से पांच सीटें जीतने में भाजपा सफल हुई। आदिवासी समुदाय बहुल क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी काम किया है और इसका लाभ भाजपा को मिलता दिखा है। नक्सिलयों का गढ़ रहे जंगल महल को शांत करने का श्रेय ममता बनर्जी को जाता है।    

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