नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच पिछले दो महीने से चल रही तनातनी के अब खत्म होने की उम्मीदें बढ़ रही है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर इसका असर देखने को मिल रहा है जहां चीन की सेना गलवान घाटी में उस जगह से लगभग 2 किलोमीटर पीछे हट गई है जहां 15 और 16 जून की रात दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी जिसमें देश के 20 जवान शहीद हो गए थे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने रविवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी से बात की थी जिसके बाद दोनों के बीच इस बात पर सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमति बनी। टेलीफोन पर हुई वार्ता में डोभाल और वांग ने पुन: दोहराया कि एलएसी पर यथास्थिति को बदलने के लिए कोई एकतरफा कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।
विदेश मंत्रालय ने जारी किया बयान
विदेश मंत्रालय ने कहा, 'राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और चीनी स्टेट काउंसिलर व विदेश मामलों के मंत्री वांग यी के बीच कल टेलीफोन पर बातचीत हुई। दोनों के बीच भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों को लेकर गहन विचार विमर्श हुआ है। इस संबंध में दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि दोनों देशों को LAC के साथ चल रही डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया को शीघ्रता से पूरा करना चाहिए। दोनों पक्षों को भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से पीछे हटना चाहिए।' यह भी सहमति बनी कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं ना हों।
जारी रहेगी बातचीत
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में आगे कहा कि, 'इस बात पर भी सहमति हुई कि एनएसए अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी द्विपक्षीय समझौते और प्रोटोकॉल के अनुसार भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थायित्व की पूर्ण और स्थायी बहाली सुनिश्चित करने के लिए अपनी बातचीत जारी रखेंगे।'
वहीं चीनी विदेश मंत्रालय ने सैनिकों के पीछे हटने के पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि तनाव घटाने के लिए यह कदम उठाया है। चीन के सरकारी अखबार और सरकार मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान के हवाले से ट्वीट करते हुए लिखा, '30 जून को को हुई बैठक के बाद भारत और चीन ने फ्रंट बॉर्डर से बैच के आधार पर सैनिक कम करने का निर्णय लिया है।'
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