नई दिल्ली : इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) पहली बार लद्दाख में ऑपरेटिंग लोकेशन पर महिला डॉक्टर तैनात किए हैं। महिला डॉक्टरों को लेह से लद्दाख में भेजा गया है और उन्हें आईटीबीपी सैनिकों की देखभाल से लेकर उन्हें हर प्रकार की मेडिकल जरूरतें पूरी करने के चार्ज दिए गए हैं। सीमा पर जारी तनाव को देखते हुए आईटीबीपी ने अपने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) में बदलाव किए हैं।
इसमें पहले ये था कि आईटीबीपी इस तरह के युद्ध वाले क्षेत्रों में कोई भी महिला ऑफिसर की तैनाती नहीं करेगा। विभाग ने कुछ सप्ताह पहले ही महिला डॉक्टर्स और अन्य स्टाफ को लद्दाख सीमा पर भेजा है ताकि वे वहां पर अन्य पैरा मेडिकल कर्मियों के साथ मिलकर घायल सैनिकों की देखभाल कर सकें।
इन महिला डॉक्टरों को सैनिकों के मेडिकल जरूरतों को सुपरवाइज करने का काम दिया गया है। उन्हें बॉर्डर पर अलग-अलग रणनीतिक क्षेत्रों में तैनात किया गया है। इतना ही नहीं इसके अलावा फार्मासिस्ट और नर्सिंग असिस्टेंट को भी बड़ी संख्या में तैनात किया गया है ताकि इमरजेंसी की हालत में किसी भी तरह की परेशानी ना हो और भरपूर मात्रा में दवाईयों और मेडिकल सप्लीमेंट्स की आपूर्ति हो।
लेह में तैनात सैनिक देश के अलग-अलग हिस्से से आते हैं उन्हें फिटनेस सर्टिफिकेट पाने के लिए कड़े मेडिकल चेक-अप से गुजरना पड़ता है। यहां पर भी महिला ऑफिसर्स की तैनाती की गई है।
महिला डॉक्टर कात्यायनी शर्मा मेडिकल बेस को लीड कर रही हैं। हर सैनिक को चेक-अप के लिए तीन स्टेज से गुजरना पड़ता है इसके बाद ही उन्हें डॉक्टर शर्मा से फाइनल क्लीयरेंस मिलता है। बता दें कि चीन के अलावा कोविड-19 भी लेह-लद्दाख के लिए इन दिनों एक बड़ा खतरा बन गया है।
इसी के चलते मेडिकल चेक-अप में भी कड़ाई की जा रही है। इसके लिए सैनिकों का तापमान चेक, वाइटल चेक, ब्लड चेक जरूरी तौर पर किया जा रहा है। हाई ब्लड प्रेशर वाले सैनिकों पर करीबी से नजर रखी जा रही है।
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