अरविंद केजरीवाल की आराम मुद्रा बीजेपी को नहीं आई रास, बताया मैनरलेस

कोरोना पर पीएम सीएम चर्चा के दौरान दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल आराम मुद्रा में नजर आए। एक तरफ पीएम नरेंद्र मोदी अपनी बात रख रहे थे तो दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल ने अपने हाथों को पीछे की तरफ खींचा और कुर्सी के बैक साइड को पकड़ लिया जिसे बीजेपी ने संस्कारविहीन बता डाला।

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अरविंद केजरीवाल की आराम मुद्रा बीजेपी को नहीं आई रास, बताया मैनरलेस 
मुख्य बातें
  • कोरोना के दौरान पीएम राज्यों के सीएम के साथ कर रहे थे संवाद
  • पीएम मोदी ने उस दौरान पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत और वैट का जिक्र किया
  • पीएम के संवाद के दौरान अरविंद केजरीवाल आराम की मुद्रा में नजर आए।

कोरोना के मुद्दे पर बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल संवाद कर रहे थे। उस वर्चुअल संवाद में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी हिस्सा थे। लेकिन उनका एक काम बीजेपी को नागवार गुजरा। बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल को मैनरलेस करार दिया यानी कि उनमें शिष्टाचार की कमी है। अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि बीजेपी इतनी खफा है।

बीजेपी ने जारी किया वीडियो 
अब आखिर ऐसा क्या हुआ जो बीजेपी को नागवार लगा और एस्क्लेमेशन साइन के साथ मैनरलेस सीए के कैप्शन के साथ मीटिंग के उस हिस्से को ट्वीट किया। दरअसल बुधवार को बैठक कोरोना के बढ़ते मामलों पर थी। पीएम मोदी ने कहा कि यह काबिलेतारीफ है कि हमने बेहतर काम किया है। लेकिन अलर्ट रहने की जरूरत है। उसी दौरान उन्होंने पेट्रोलियम प्रोडक्ट की बढ़ती कीमतों का जिक्र किया। पीएम ने कहा कि जिन राज्यों में केंद्र की एक्साइज ड्यूटी कम किए जाने के बाद वैट में कमी की गई वहां रेट कम है। लेकिन वो उन राज्यों से वैट में कमी करने की अपील करते हैं जिन्हें यह कदम 6 महीने पहले उठाना चाहिए था। बता दें कि दिल्ली उन राज्यों में से है जो वैट कम करने की दिशा में आगे नहीं बढ़ा है।

पेट्रोलियम प्रोडक्ट से वैट कम करने की अपील 
पीएम मोदी ने कहा था कि वो किसी की आलोचना नहीं कर रहा हूं, लेकिन मैं आपसे आपके राज्यों के लोगों के कल्याण के लिए प्रार्थना कर रहा हूं..मैं आपसे लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए छह महीने की देरी के बाद भी वैट कम करने का आग्रह करता हूं।ईंधन की बढ़ती कीमतें पिछले कुछ समय से सार्वजनिक बहस के केंद्र में रही हैं - जहां विपक्ष ने इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है, वहीं भाजपा ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती लागत का हवाला दिया है और प्रतिद्वंद्वी दलों द्वारा चलाए जा रहे राज्यों पर हमला किया है।

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