गांधी परिवार के बाद भाजपा के निशाने पर ये राजनीतिक परिवार ! जानें किसका क्या है रसूख

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Jul 04, 2022 | 20:08 IST

BJP National Executive Meeting: भाजपा और उसके सहयोगियों की देश के 18 राज्यों में सरकार है। इसमें से 12 राज्यों में उसके मुख्यमंत्री हैं। जबकि 6 राज्यों में उसके सहयोगियों के मुख्यमंत्री हैं।

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भाजपा का ये है दक्षिण फतह का प्लान  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • दक्षिण भारत के तमिलनाडु,आंध्र प्रदेश, केरल ऐसे राज्य हैं, जहां भाजपा का एक भी सांसद नहीं है।
  • तमिलनाडु,आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना में कुल 129 लोक सभा सीटें हैं।
  • उत्तर भारत में जिस तरह भाजपा ने परिवारवाद को मुद्दा बनाया , अब वैसी सफलता दक्षिण भारत में हासिल करना चाहती है।

BJP National Executive Meeting: लगता है कि भारतीय जनता पार्टी ने दक्षिण भारत में अपनी पकड़ बनाने के लिए परिवारवाद को बड़ा हथियार बनाने की तैयारी कर ली है। जिस तरह, हैदराबाद में हो रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर दूसरे वरिष्ठ नेता परिवारवाद के जरिए के.सी.आर को घेर रहे हैं, उससे साफ है कि अब पार्टी कांग्रेस पर परिवारवाद के आरोपों से आगे की सोच रही है। और उसके निशाने पर आने वाले समय में राज्यों के क्षत्रप होंगे। जिनकी राजनीतिक विरासत परिवार के इर्द-गिर्द ही घूमती रहती है। 

प्रधानमंत्री ने क्या कहा

कार्यकारिणी की बैठक में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमला बोलते हुए कहा 'आज भारत परिवारवाद की राजनीति और पुरानी मानसिकता से ऊब चुका है। आने वाले दिनों में परिवारवाद की राजनीति करने वाले ऐसे दलों के लिए टिक पाना मुश्किल है। हिन्दुस्तान की जनता अब ऐसी मानसिकता को स्वीकार नहीं करेगी।' साफ है कि उनका इशारा उन राजनीतिक परिवारों पर था, जहां पर एक ही परिवार सर्वे-सर्वा है।

भाजपा को क्या है उम्मीद

इस समय भाजपा और उसके सहयोगियों की देश के 18 राज्यों में सरकार है। इसमें से 12 राज्यों में उसके मुख्यमंत्री हैं। जबकि 6 राज्यों में उसके सहयोगियों के मुख्यमंत्री हैं। और केंद्र में उसके 300 से ज्यादा लोक सभा सांसद हैं। अगर इन राज्यों में भाजपा की सफलता को देखा जाय तो उसके लिए परिवारवाद का मुद्दा बेहद फायदेमंद रहा है। और इसका नुकसान कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बसपा, राजद को उठाना पड़ा है। और अब वह इसी फॉर्मूले को दक्षिण भारत में भी अपनाना चाहती है। ऐसे में अगर भाजपा परिवारवाद के जरिए तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल , कर्नाटक अपनी पकड़ मजबूत करती है, तो 129  लोक सभा सीटों पर असर होगा। और इस समय तमिलनाडु,  आंध्र प्रदेश, केरल ऐसे राज्य हैं, जहां भाजपा का एक भी सांसद नहीं है।

राज्य कुल लोक सभा सीट 2019 में भाजपा का प्रदर्शन
तेलंगाना 17 4
आंध्र प्रदेश 25 0
कर्नाटक 28 25
तमिलनाडु 39 0
केरल 20 0

दक्षिण भारत के इन राज्यों पर नजर

हाल ही में महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम को देखा जाय, तो भाजपा ने जिस तरह, 106 सीटों के साथ सबसे बड़ा दल होने के बावजूद, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को बनाया है। उससे साफ है कि वह मराठा समुदाय से आने वाले एकनाथ शिंदे के जरिए दो परिवारों पर निशाना साध रही है। एक तो असली शिव सेना का दावा करने वाले शिंदे के जरिए वह ठाकरे परिवार का शिव सेना से वर्चस्व खत्म करना चाहती है। दूसरी तरफ वह एनसीपी नेता शरद पवार और उनके परिवार की महाराष्ट्र की राजनीति में रसूख को भी कम करना चाहती है। 

इसी तरह उसे तेलंगाना में के.चंद्रशेखर राव की टीआरएस पार्टी, तमिलनाडु में एम.के.स्टालिन वाली डीएमके पार्टी, झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा को राजनीतिक रूप से कमजोर करने में परिवारवाद का मुद्दा मुफीद लग रहा है। कर्नाटक में देवगौड़ा परिवार और आंध्र प्रदेश में तेलगुदेशम पार्टी भी परिवारवाद का प्रतीक है। प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के बेटे लारा लोकेश  राजनीति में सक्रिय हो चुके हैं। खुद चंद्रबाबू नायडू, पूर्व मुख्यमंत्री एन.टी.रामाराव के दामाद हैं। 

इसी तरह आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी अपने पिता एस.राजशेखर रेड्डी की विरासत संभाल रहे हैं। हालांकि उनके रिश्ते भाजपा से के.सी.आर जैसे नहीं हैं। ऐसे में देखना होगा कि आने वाले समय में भाजपा का उनको लेकर क्या रूख रहता है।

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ऐसा है रसूख

  • अगर तमिलनाडु की बात की जाय तो 70 के दशक से करूणानिधि परिवार का दबदबा रहा है। और इस समय उनके पुत्र एम.के.स्टालिन मुख्यमंत्री हैं। जबकि उनके बेटी कनिमोझी सांसद हैं। जबकि एक दूसरे बेटे एम.के.अलागिरी केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं।
  • तमिलनाडु की तरह कर्नाटक में देवगौड़ा परिवार की भी मजबूत पकड़ हैं। एच.डी.देवगौड़ा न केवल राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं, बल्कि प्रधानमंत्री भी बने।उनके बेटे एच.डी.कुमारस्वामी भी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। देवगौड़ा के दूसरे बेटे एचडी रेवन्ना भी राजनीति में सक्रिय हैं।
  • टीआरएस के संस्थापक के.चंद्रशेखर राव इस समय भाजपा के निशाने पर हैं। उनके परिवार को विपक्षी दल राज्य में फर्स्ट फैमिली कहते हैं।  उनकी बेटी कविता कल्वकुंतला जो कि लोक सभा सांसद रह चुकी हैं और इस समय विधायक है, जबकि बेटे केटी रामाराव राज्य में मंत्री  है।
  • इसी तरह झारखंड में सोरेन परिवार भी अपनी पकड़ मजबूत रखता है। इस समय झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री हैं। और उनके पिता शिबू सोरेन भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
     

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