नई दिल्ली: बीते सोमवार (25 अक्टूबर) को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर से प्रदेश के 9 मेडिकल कॉलेज का लोकार्पण कर रहे थे। तो उन्होंने कहा 'सिद्धार्थनगर के नये मेडिकल कॉलेज का नाम माधव बाबू के नाम पर रखना उनके सेवाभाव के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। माधव बाबू का नाम यहां से पढ़कर निकलने वाले युवा डॉक्टरों को जनसेवा की निरंतर प्रेरणा भी देगा।' असल में माधव बाबू यानी माधव प्रसाद त्रिपाठी , सिद्धार्थनगर के बांसी तहसील के तिवारीपुर गांव के रहने वाले थे और भाजपा के उत्तर प्रदेश के पहले प्रदेश अध्यक्ष भी थे।
सिद्धार्थनगर के अलावा प्रधानमंत्री ने उसी दिन एटा, हरदोई, प्रतापगढ़, फतेहपुर, देवरिया, गाजीपुर, मिर्जापुर और जौनपुर जिलों में भी मेडिकल कॉलेज का लोकार्पण किया। सिद्धार्थ नगर की तरह अगर दूसरे 7 कॉलेज के नाम को देखा जाय, तो भाजपा ने उनके जरिए स्थानीय वोट बैंक को साधने की भरपूर कोशिश की है। जैसे कि उसने अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर यूनिवर्सिटी की स्थापना कर, जाट वोटों को साधने की कोशिश की थी। चुनावी साल में भले ही पार्टी कुछ भी कहे लेकिन एक बात तो तय है कि राजनीतिक दलों का हर कदम राजनीति के चश्मे से ही देखा जाता है। नौ मेडिकल कॉलेज के नाम को भी इसी नजरिए से देखा जा रहा है।
नए कॉलेज के रखे गए नाम
मिर्जापुर में मां विंध्यवासिनी, देविरया में देवरहवा बाबा, गाजीपुर में महर्षि विश्वामित्र, प्रतापगढ़ में डॉ. सोनेलाल पटेल, एटा में वीरांगना अवंती बाई लोधी, जौनपुर में उमानाथ सिंह, फतेहपुर में अमर शहीद जोधा सिंह अटैया ठाकुर दरियांव सिंह के नाम से मेडिकल कॉलेज का नामकरण किया गया है। केवल हरदोई मेडिकल कॉलेज का नाम सामान्य रूप में स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय रखा गया है।
देवी मां ,बाबा, ऋृषि से लेकर जाति समीकरण पर फोकस
मेडिकल कॉलेज के नामकरण को देखा जाय तो नाम रखने में स्थानीय समीकरण का पूरा ध्यान रखा है। मसलन मिर्जापुर मेडिकल कॉलेज का नाम मां विंध्यवासिनी के नाम से रखा गया है। स्थानीय स्तर पर इसे विंध्याचल के नाम से भी जाना जाता है। स्थानीय राजनीति में यहां से निषाद, राजभर, कुर्मी वोटरों साधे जाते रहे हैं।
इसी तरह देवरिया में देवराहा बाबा काफी प्रसिद्ध रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि उनके पास इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव , नारायण दत्त तिवारी जैसे नेता भी जाते थे। उनकी मृत्यु 1990 में मथुरा में हुई। लेकिन आज भी देवरिया और उसके आस-पास के इलाके में खास प्रभाव है।
इसी तरह गाजीपुर मेडिकल कॉलेज का नाम महर्षि विश्वामित्र के नाम पर रखा गया है। विश्वामित्र सप्त ऋृषियों में से एक माने जाते हैं। वह जाति से क्षत्रिय थे और बाद में ऋषि बन गए। गाजीपुर से 2014 में जम्मू और कश्मीर के मौजूदा राज्यपाल मनोज सिन्हा सांसद थे। हालांकि 2019 में उन्हें वहां से हार का सामना करना पड़ा था।
एटा मेडिकल कॉलेज का वीरांगना अवंती बाई लोधी के नाम पर रखा गया है। जो रामगढ़ की रानी थी और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया था। और मात्र 26 वर्ष की उम्र में शहीद हो गईं थी। वह लोध जाति की थी। और एटा और उसके आस-पास के इलाके में लोधों का अच्छा वोट बैंक है। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह एटा के सांसद है। इसी तरह फतेहपुर मेडिकल कॉलेज का नाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अमर शहीद जोधा सिंह अटैया और ठाकुर दरियांव सिंह के नाम पर रखा गया है। जो ठाकुर आबादी वाले क्षेत्र में बड़ा असर डाल सकते हैं।
प्रतापगढ़ मेडिकल कॉलेज का नाम कुर्मी नेता और अपना दल के संस्थापक सोने लाल पटेल के नाम पर रखा गया है। कुर्मी जाति की प्रतापगढ़, बनारस, मिर्जापुर में चुनावों के मद्देनजर निर्याणक भूमिका है। अपना दल (एस) का भाजपा के साथ पहले से ही गठबंधन है। इसी तरह जौनपुर में प्रदेश में मंत्री रह चुके और भाजपा के कद्दावर ठाकुर नेता उमानाथ सिंह के नाम पर मेडिकल कॉलेज का नाम रखा गया है। पार्टी इसके लिए ठाकुर वोटर को लुभाना चाहती है।
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