आज सबसे पहले बात बिहार की, जहां जबरदस्त सियासी हलचल के बीच खबर है कि..एक बार फिर से नीतीश कुमार ने बीजेपी से अलग होने का मन बना लिया है। जेडीयू इस बार खुलकर आरोप लगा रही है कि..बीजेपी चाहती है कि जेडीयू टूट जाए। आरोप-प्रत्यारोप का खेल दोनों तरफ से लगातार जारी है, इसी बीच बीजेपी का प्लान क्या है..
बिहार में बीजेपी और जेडीयू दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे पर जिस तरह से आरोपों की झड़ी लगा रही है..उसके बाद ये साफ है कि..अब ये गठबंधन टूटने के कगार पर है। पहली बार, जेडीयू नेता खुलकर बोल रहे हैं कि..बीजेपी पार्टी को तोड़ने की कोशिश में है। जबकि बीजेपी का दावा कुछ और ही है। इसके साथ-साथ बिहार के सियासी गलियारों में नीतीश कुमार, बीजेपी और आरजेडी को लेकर किस तरह की चर्चाएं हैं, इस रिपोर्ट में देखिए।
बिहार में दो साल पहले जिस गठबंधन ने मिलकर सरकार बनाई। उस गठबंधन की एक-एक गांठें दो साल बाद दी खुलने लगी है। बीजेपी का आरोप है कि..नीतीश उपराष्ट्रपति बनना चाहते थे, लेकिन बन नहीं पाए..तो जेडीयू का आरोप है कि..बीजेपी उसकी पार्टी ही तोड़ना चाहती है। सच चाहे जो हो..लेकिन दोनों तरफ के आरोपों से ये साफ है कि..गठबंधन में अब हर वक्त दरार बढ़ती चली जा रही है।
पिछले कुछ सालों में बिहार की राजनीति में कई बार..टूट,अलगाव और पाला बदलने की जबरदस्त राजनीति हुई। खबर है कि..इस बार भी नीतीश कुमार ने फिर से मन बनाया है कि..अब बीजेपी के साथ अपनी राजनीतिक दोस्ती को विराम देकर..आरजेडी-कांग्रेस के साथ सियासी दोस्ती गांठ ली जाए। वैसे ना तो ये हाल बिहार की राजनीति के लिए नई है। और ना ही नीतीश कुमार के लिए..बस नई बात यही है कि..इस बार जेडीयू ने बीजेपी पर आरसीपी सिंह को आगे करके जेडीयू तोड़ने का आरोप लगा दिया है।
नीतीश कुमार की सियासी स्टाइल को जानने वाले जानते होंगे कि..वो सीएम की कुर्सी तक किसी भी आंच के पहुंचने से पहले पाला बदलने में ही विश्वास रखते हैं। कहते हैं कि नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह के बीच खटास बढ़ी..फिर बीजेपी का बदला-बदला रवैया भी दिखने लगा..लेकिन बीजेपी के सूत्र बता रहे हैं कि..नीतीश के दिल में तो कुछ और ही बात खटक रही है।
नीतीश उप राष्ट्रपति बनना चाहते थे
उप राष्ट्रपति नहीं बनने से नीतीश नाराज हैं
जेडीयू को तोड़नी की कोई कोशिश नहीं की जा रही
अपनी तरफ से भी बीजेपी कोई प्रयास नहीं करेगी
अब जेडीयू और नीतीश कुमार को फैसला लेना है
जेडीयू का अपना आरोप है..और बीजेपी का अपना आरोप। लेकिन इस बीच नीतीश कुमार खुद खामोश हैं। लेकिन खबर है कि..जेडीयू के ज्यादातर विधायक मध्यावधि चुनाव नहीं चाहते हैं। इसीलिए नीतीश कुमार इस बार फिर से आरजेडी, लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने का गुणा-गणित कर रहे हैं।
सूत्र बता रहे हैं कि..बिहार में खेला तो अभी बस शुरू हुआ है। जेडीयू को ऑपरेशन कमल की साजिश का संदेह है..इसीलिए अभी से एक-एक कदम भांप कर उठा रही है। जेडीयू के सूत्र बता रहे हैं कि..
ललन सिंह-तेजस्वी की मुलाकात की खबर
नीतीश के करीबी कांग्रेस-RJD के संपर्क में हैं
नीतीश कुमार शुक्रवार को दिल्ली आ सकते हैं
लालू यादव और कांग्रेस नेतृत्व से नीतीश मिल सकते हैं
सूत्र को यहां तक बता रहे हैं कि..जेडीयू ने पूरा मन लिया है कि..अब आरजेडी के साथ फिर से बिहार में सत्ता पर कब्जा किया जाए। और सब सही रहा..फॉर्मूले पर सहमति बन गई तो..वो वक्त भी दूर नहीं जब बिहार में फिर से नई सरकार होगी। सूत्रों के मुताबिक..ये तय है कि..अगले कुछ दिनों तक बिहार की राजनीति में घमासान मचा रहेगा। क्योंकि अगर किसी भी तरह से जेडीयू-बीजेपी से अलग होती है..और आरजेडी से जाकर जुड़ती है तो बीजेपी ना सिर्फ इसे मुद्दा बनाएगी..बल्कि अपनी जाती हुई कुर्सी को भी बचाने की कोशिश करेगी।
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