Hijab Controversy: हिजाब और खजाब से हमें लेना देना नहीं, स्कूल और कॉलेज में स्वीकार नहीं- प्रज्ञा ठाकुर

भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर भी हिजाब विवाद में अपने बयान दिए। उन्होंवे साफ लफ्जों में कहा कि स्कूल और कॉलेज में हिजाब को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

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Hijab Controversy: हिजाब मामले में बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर कूदीं, स्कूल और कॉलेज में स्वीकार नहीं 

हिजाब मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है। उसके साथ ही इस विषय पर राजनीतिक संग्राम भी छिड़ा हुआ है। सियासी तौर पर इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश हो रही है। एक तरफ एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी कह चुके हैं कि इंशा अल्ला एक ना एक दिन कोई ना कोई हिजाबी महिला इस देश का पीएम बनेगी तो बीजेपी का फायर ब्रांड नेता और भोपाल से सांसद प्रज्ञा ठाकुर का कहना है कि स्कूल और कॉलेज में हिजाब किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं है।

हिजाब और खजाब मदरसों तक सीमित हो
प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि "हिजाब एक पर्दा है और पर्दा उन लोगों के खिलाफ (इस्तेमाल) किया जाना चाहिए जो आपको बुरी नजर से देखते हैं। लेकिन यह तय है कि हिंदू उन्हें बुरी नजर से नहीं देखते क्योंकि वे महिलाओं की पूजा करते हैं।बरखेड़ा पठानी क्षेत्र के एक मंदिर में एक समारोह को संबोधित करते उन्होंने कहा कि हिजाब पहनना या खजाब लगाना मदरसों तक सीमित होना चाहिए न कि अन्य शैक्षणिक संस्थानों में। सफेद बालों को छिपाने के लिए खजाब का इस्तेमाल किया जाता है जबकि हिजाब का इस्तेमाल चेहरे को ढंकने के लिए किया जाता है।

हिजाब, खजाब से हमें लेना देना नहीं
उन्होंने कहा कि आपके पास मदरसे हैं। अगर आप हिजाब पहनते हैं या वहां (मदरसों में) खजाब (बालों का रंग) लगाते हैं तो हमें कोई लेना-देना नहीं है। आप वहां आवश्यक पोशाक पहनते हैं और उनके अनुशासन का पालन करते हैं। लेकिन अगर आप स्कूलों और कॉलेजों के ज्ञान और अनुशासन को विकृत करते हैं। देश में और हिजाब पहनना और खजाब लगाना शुरू कर दिया तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।भाजपा नेता ने कहा कि 'गुरुकुल' में शिष्य 'भगवा' पोशाक पहनते हैं, लेकिन जब वे स्कूल जाते हैं तो वे मानदंडों के अनुसार वर्दी पहनते हैं।

कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई
कर्नाटक उच्च न्यायालय में हिजाब से संबंधित मामलों की सुनवाई जारी है, कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने विरोध करने वाले छात्रों को हाल के फैसले का सख्ती से पालन करने या कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी दी है।अब तक, छात्रों को चोट नहीं पहुंचाने पर विचार किया गया था क्योंकि वे संवेदनशील हैं और ऐसा माना जाता था कि वे बाहरी लोगों के उकसावे के साथ विरोध कर रहे हैं। कर्नाटक के मंत्री ने कहा कि अदालत के आदेश का पालन करना और संविधान का सम्मान करना इस देश के नागरिकों की जिम्मेदारी है। यदि इसका उल्लंघन किया जाता है, बिना किसी विचार के तुरंत कठोर कार्रवाई शुरू की जाएगी।

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