नड्डा का खुला खत: लोगों से पूछा 2047 में कैसा चाहते हैं भारत, कांग्रेस दौर के दंगों की दिलाई याद

BJP President JP Nadda Letter: भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा ने देशवासियों के नाम खुल खत लिखा है। जिसमें उन्हों ने पूछा है कि आजादी के 100 साल पूरे होने पर (2047) में वह कैसा भारत चाहते हैं। इसके साथ ही विपक्ष की राजनीति पर भी सवाल उठाए हैं।

JP Nadda Letter
भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा ने लिखा पत्र  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • करौली में हुई सांप्रदायिक हिंसा में कांग्रेस की चुप्पी पर उठाए सवाल।
  • नड्डा ने लिखा है कि युवा बाधाएं नहीं अवसर चाहते हैं।
  • जे.पी.नड्डा ने कांग्रेस दौर के दंगों के बार में भी अपने पत्र में जिक्र किया है।

नई दिल्ली: राम नवमी और हनुमान जंयती के दौरान देश के विभिन्न इलाकों में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बीच भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा ने देशवासियों के नाम खुल खत लिखा है। जिसमें उन्हों ने पूछा है कि आजादी के 100 साल पूरे होने पर (2047) में वह कैसा भारत चाहते हैं। उन्होंने लिखा है कि इसके लिए हम योजना बनाएं कि उस वक्त तक हम किस तरह के भारत का निर्माण करना चाहते हैं। साथ ही इस दौरान देश में हो रही राजनीति पर भी  सवाल उठाए हैं। उन्होंने लिखा है कि हार से हताश विपक्ष अवरोध की राजनीति कर रहा है। इनके बीच उन्होंने अपने पत्र में कांग्रेस पार्टी के दौर के दंगों का जिक्र किया है।

कांग्रस दौर के दंगों पर ये कहा 

भाजपा अध्यक्ष ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि आप वोटबैंक पॉलिटिक्‍स की बात करते समय राजस्‍थान के करौली की घटना क्‍यों भूल जाते हैं। ऐसी क्‍या मजबूरियां है जिनके कारण खामोशी बनाकर रखी हुई है।  इसी तरह साल 1966 में गोहत्‍या पर प्रतिबंध की मांग के साथ हिंदू साधु संसद के बाहर धरने पर बैठे थे, उस वक्त प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन पर गोलियां चलवा दी थीं। नड्डा ने यह भी याद दिलाय है कि कौन राजीव गांधी के शब्‍दों को भूल सकता है जिसमें उन्होंने कहा था, जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती कांपती है। 

यही नहीं उन्होंने कांग्रेस से पूछा कि गुजरात (1969), मुरादाबाद (1980), भिवंडी (1984), मेरठ (1987), भागलपुर (1989) और हुबली (1994) में सांप्रदायिक दंगे किसके शासनकाल में हुए।  कश्‍मीर घाटी से हिंदुओं का पलायन किसके दौर में हुआ? कांग्रेस राज में सांप्रदायिक दंगों की लंबी लिस्ट है। उन्होंने पूछा कि 2012 में असम दंगे और 2013 में किसके शासनकाल में मुजफ्फरनगर दंगे हुए?

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विपक्ष की राजनीति पर उठाए सवाल

नड्डा ने लिखा है कि युवा बाधाएं नहीं अवसर चाहते हैं। उन्होंने विपक्ष की राजनीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि पांच राज्यों के नतीज ने साफ कर दिया है कि जो लोग वोट बैंक की राजनीति करते हैं, उनका क्या हश्र होता है। उन्हें यह सोचना चाहिए कि जो पार्टी पूरे देश में मजबूत थी वह क्यों सिकुड़ती जा रही हैं। इस समय भाजपा की नीतियों की वजह से सत्ता समर्थित और विकास की राजनीति चल रही है। जिसे सभी वर्ग और धर्म का समर्थन मिल रहा है। इसी का परिणाम है कि भाजपा पिछले कई वर्षो में ऐसी पार्टी बन गई है कि जिसे राज्यसभा में 100 सीटें मिली हैं। इस हमें मिलकर गरीबी को हराना है। और उसके लिए सभी के सकारात्मक सहयोग की जरूरत है।

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