कानपुर के चौबेपुर थाने के अंतर्गत गांव बिकरू में 2 जुलाई की रात आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या करने वाले दुर्दांत अपराधी विकास दुबे का अंत हो चुका है। 10 जुलाई की सुबह पुलिस एनकाउंटर में विकास दुबे ढेर हो गया था। इसके बाद विपक्ष ने पुलिस की कार्रवाई के साथ साथ एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं, दूसरी तरफ बसपा सुप्रीमो और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ब्राह्मण एंगल खोज निकाला। मायावती ने इस बारे में 4 ट्वीट किए तो बीजेपी ने उन पर करारा हमला बोलते हुए नसीहत दे डाली। यूपी बीजेपी प्रवक्ता डॉ. चंद्रमोहन ने मायावती को जबाव देते हुए कहा कि अपराधी की जाति से उसका महिमामंडन ठीक नहीं।
बता दें कि मायावती ने ट्वीट किया- "बीएसपी का मानना है कि किसी गलत व्यक्ति के अपराध की सजा के तौर पर उसके पूरे समाज को प्रताड़ित व कटघरे में नहीं खड़ा करना चाहिए। इसीलिए कानपुर पुलिस हत्याकाण्ड के दुर्दान्त विकास दुबे व उसके गुर्गों के जुर्म को लेकर उसके समाज में भय व आतंक की जो चर्चा गर्म है उसे दूर करना चाहिए। साथ ही, यूपी सरकार अब खासकर विकास दुबे-काण्ड की आड़ में राजनीति नहीं बल्कि इस सम्बंध में जनविश्वास की बहाली हेतु मजबूत तथ्यों के आधार पर ही कार्रवाई करे तो बेहतर है। सरकार ऐसा कोई काम नहीं करे जिससे अब ब्राह्मण समाज भी यहां अपने आपको भयभीत, आतंकित व असुरक्षित महसूस करे।"
इसका जवाब देते हुए डॉ. चंद्रमोहन ने कहा- "8 पुलिसकर्मियों के हत्यारे विकास दुबे के माता-पिता तक स्वयं उसे तिरस्कृत कर चुके थे तो समाज उसे कब स्वीकारने लगा। अपराधी की जाति से उसका महिमामंडन किसी भी दशा में उचित नहीं है। आपको ऐसी राजनीति से बचना चाहिए। विकास दुबे ने हत्याएं करते समय किसी की जाति देखी थी क्या? फिर उसके एनकाउंटर पर जाति की राजनीति क्यों हो रही हैं? यह प्रदेश सबका है, यहां जाति सम्मान का आधार नहीं है व्यक्ति अपने कर्मों से समाज में सम्मान व तिरस्कार का पात्र होता है।"
मायावती ने अपने ट्वीट में दलित उत्पीड़न पर सवाल उठाते हुए कहा कि यूपी में आपराधिक तत्वों के विरूद्ध अभियान की आड़ में छांटछांट कर दलित, पिछड़े व मुस्लिम समाज के लोगों को निशाना बनाना, यह भी काफी कुछ राजनीति से प्रेरित लगता है। इस पर बीजेपी प्रवक्ता ने जवाब दिया- दलित उत्पीड़न की घटनाओं पर सरकार ने सबसे प्रभावी कार्रवाइयां की हैं, जिसे स्वयं आपने भी स्वीकार किया है। योगी सरकार जाति, पंथ, भाषा और मजहब के भेद से ऊपर उठकर काम करती है। कोविड19 के समय इसे सबने माना भी है।
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