नई दिल्ली: अज्ञात अंतर्मन में गगन का खालीपन भी है और शीतल सागर में खारापन भी है। ठीक यही लक्षण इस पुस्तक की कविताओं में भी है। कहीं पे आलोचना, कहीं पे प्रेम और कहीं पर राष्ट्रभक्ति में सराबोर कर देनी वाली कवितायें इस पुस्तक में आपको मिलेंगी ऐसा लेखक का दावा है। इस पुस्तक को लिखने में अटल नारायण ने, अपने एक सामाजिक कार्यकर्ता रूप में, एक तकनीकी और पी आर-संचार क्षेत्र में पेशेवर के रूप, और सरकार में एक सर्वोच्च पदाधिकारी की प्रशासनिक टीम का नेतृत्वकर्ता के रूप में प्राप्त अनुभव को झोंक दिया है। लेखक योग्यता से एक इंजीनियर हैं एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में पांच से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। लेखक की जीवन यात्रा में आए उतार-चढ़ाव ने उनके विचारों को समृद्ध किया है, उनके दर्शन को आकार दिया है। इस युवा कवि द्वारा लिखी गई कविताओं का संग्रह उनकी प्रकाशित पुस्तक - अज्ञात अंतर्मन में अच्छी तरह से परिलक्षित होता है।
इतिहास के पन्नों से 'गुमनाम शहीदो की गाथा'
अज्ञात अंतर्मन में कवि ने साहित्य, इतिहास, समाज, संस्कृति, जीवन और आत्म-जागरूकता के बारे में बड़ा ही सुंदर उल्लेख किया है। वह वर्तमान में अपनी अगली पुस्तक 'गुमनाम शहीदो की गाथा' पर काम कर रहे हैं। जैसा कि नाम से पता चलता है, इसमें उन स्वतंत्रता सेनानियों के विस्तृत विवरण होगा जिन्होंने देश और मातृभूमि के लिए अंतिम बलिदान दिया लेकिन उनके नाम इतिहास के पन्नों में कहीं खो से गए हैं। उदाहरण के तौर पे बात करें तो जैसे चित्तू पांडे, जयदेव कपूर, मनमथ नाथ गुप्त, महावीर सिंह और कई अन्य।
क्या है अज्ञात अंतर्मन
जैसा कि हम अटल नारायण की अगली पुस्तक के विमोचन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, आइए हम उनकी पिछली पुस्तक 'अज्ञात अंतर्मन’' की अपनी समीक्षा साझा करें। कवि समाज का आइना होता है । समाज की भलाई के लिए काम करने की जिम्मेदारी की गहरी भावना और एक आदर्श नागरिक के कर्तव्यों पर उनके विचार कवि के काम में सर्वव्यापी हैं और स्पष्ट रूप से व्यक्त किए गए हैं। वह विचार कहने के लिए वे उत्तेजक भी हो सकते हैं लेकिन राष्ट्रीय दृष्टि प्राप्त करने के लिए ज़रूरी भी हैं। कवि की अपनी विचारधारा थोपने या आधिकारिक रूप से जोर देने की कोई मंशा नहीं है, वह केवल राष्ट्र के प्रति सकारात्मक सोच वाले युवाओं को तैयार करना चाहता है।
क्यों इसे पढ़ना चाहिए
अज्ञात अंतर्मन को उन लोगों के लिए पढ़ना चाहिए जो समाज और राष्ट्र में बड़े पैमाने पर सकारात्मक बदलाव लाने में रुचि रखते हैं। यह बेहतर भविष्य का रास्ता बनाने के लिए अलग-अलग विचारों और विचारधाराओं के बीच आत्मनिरीक्षण और बहस शुरू करने के लिए है। कवि की यह इच्छा है कि देश की स्थिति के प्रति निरंतर निराशावादी दृष्टिकोण रखने वाले कुलीन लोग इसे और भी अधिक जोश के साथ पढ़ें और विचार करें कि इसे बेहतर बनाने के लिए क्या किया जा सकता है। उनके विचार कवि के विचारों से मेल नहीं खा सकते हैं, जो हमारे प्यारे देश में अंधेरे से ज्यादा रोशनी देखते हैं। लेकिन उनका मानना है कि आंख मूंदकर आलोचना करने के बजाय अगर लोग देश की समस्याओं को अपनी समझेंगे तो समाज सामूहिक रूप से चुनौतियों से पार पाने की बेहतर स्थिति में होगा। इसी आशा और विश्वास के साथ लेखक यह पुस्तक आपके सामने प्रस्तुत करता है। इस पुस्तक में 35 से अधिक प्रेरक, कविताएँ हैं जो पाठक के मन में राष्ट्र के प्रति एक सकारात्मक चिंगारी पैदा करती हैं। जैसे 'राष्ट्र धर्म है, प्रकृति, तू माँ कहलाती है, हमें धर्म पथ स्वीकार है' ‘ऐ इंसान तूं क़र्म कर’ आदि कविताएँ वाकई बहुत अच्छी हैं। यहाँ पर ऐ इंसान तूं क़र्म कर की कुछ पंक्तियां प्रस्तुत कर रहा हूँ।
जगमगा इतना की
अंधेरा घुट कर मर जाए
तपन हो तप की इतना तुममें
असफलता देख घबराए
आंखों से आंसू गिरने से पहले
भाप बनकर उड़ जाए
काम क्रोध मद लोभ
तेरे मस्तिष्क को न छू पाए
इसका तूं एक उपचार कर
इस तम का तूं संहार कर
जीवन का तूं उद्धार कर
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