Book Review:"द आर्किटेक्ट ऑफ द न्यू बीजेपी"- नरेंद्र मोदी और बीजेपी को समझने के लिए एक ''जरूरी किताब" 

देश
पीयूष पांडे
Updated Jul 13, 2022 | 17:21 IST

भारतीय जनता पार्टी के विषय में आम धारणा यह है कि इसे अटल बिहारी बाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी ने ही रचा गढ़ा। लेकिन, द आर्किटेक्ट ऑफ द न्यू बीजेपी: हाऊ नरेंद्र मोदी ट्रांसफॉर्म्ड द पार्टी (The Architect of the New BJP: How Narendra Modi Transformed the Party) को पढ़ते वक्त कई धुंधलकों से पर्दा हटता है। 

Book Review The Architect of the New BJP
Book Review: ''द आर्किटेक्ट ऑफ द न्यू बीजेपी" 

2014 की ऐतिहासिक विजय के बाद प्रधानमंत्री का पद संभालने वाले नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद कई ऐसे फैसले किए, जिसने न केवल आम लोगों को चौंकाया बल्कि राजनीति के दिग्गज पंडितों को भी हैरान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली पूर्व के सभी प्रधानमंत्रियों से अलग है, और उनके तमाम बड़े फैसलों में यह बात दिखायी दी है। लेकिन, सच यह है कि नरेंद्र मोदी के काम करने की विशिष्ट शैली ने भले आम हिन्दुस्तानियों को हतप्रभ किया हो, लेकिन नरेंद्र मोदी को जानने वाले जानते हैं कि वह बरसों बरस से लीक से हटकर काम करते रहे हैं।

इस बात को वरिष्ठ पत्रकार और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के प्रेस सचिव अजय सिंह की नयी किताब ‘द आर्किटेक्ट ऑफ द न्यू बीजेपी’ को पढ़ते हुए तथ्यों, किस्सों, अनुभवों और विश्लेषण की शक्ल में मैंने बार-बार महसूस किया। 

लेकिन, वरिष्ठ पत्रकार अजय सिंह की नई किताब नरेंद्र मोदी को केंद्र में रखते हुए भी नरेंद्र मोदी के विषय में नहीं है। यह किताब है मोदी के सांगठनिक कौशल की। एक रणनीतिकार के तौर पर नरेंद्र मोदी में ऐसी क्या विशेषता है, जो उन्हें बाकी नेताओं से अलग खड़ा करती है और बीजेपी में जब भी उन्हें जो भी भूमिका मिली, उनकी बनाई रणनीति ने कैसे बीजेपी को लाभ पहुंचाया। 

मोदी के बारे में कई नयी बातों का स्रोत है किताब 

अजय सिंह की इस किताब में नरेंद्र मोदी नए रुप से सामने आते हैं। इसकी वजह है वो किस्से, जो शायद अभी तक बहुत कम लोगों को पता हैं। गौर कीजिएगा। “11 अगस्त 1979 को सौराष्ट्र के मोरबी कस्बे में मच्छू नदी पर बना बांध टूट गया। इसे इतिहास में सबसे जबरदस्त बांध ध्वंस की घटनाओं में एक माना जाता है। इस हादसे में करीब 25 हजार लोग मारे गए और पूरा मोरबी जलमग्न हो गया.....

राहत कार्य के दौरान संघ के प्रचारकों की टीम के शानदार काम ने सबका ध्यान खींचा, जिसका नेतृत्व एक युवा प्रचारक नरेंद्र दामोदर दास मोदी कर रहे थे।….जिस वक्त बांध टूटा नरेंद्र मोदी दीनदयाल रिसर्च इंस्टीट्यूट के नानाजी देशमुख के साथ चेन्नई में थे, लेकिन खबर सुनते ही गुजरात पहुंचे और अपने स्तर पर राहत कार्य आरंभ किए।” इतनी बड़ी त्रासदी में पीड़ितों को मदद मिलने के साथ एक और काम हो रहा था, संघ पर लगे हत्या का आरोप लोगों के जेहन से धुल रहा था।

एक दिलचस्प वाक्या अहमदाबाद की जगन्नाथ रथ यात्रा पर प्रतिबंध के दौरान का है

इसी तरह किताब में एक दिलचस्प वाक्या अहमदाबाद की जगन्नाथ रथ यात्रा पर प्रतिबंध के दौरान का है। तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरसिंह चौधरी ने यात्रा पर पाबंदी लगा दी। मंदिर के बाहर भारी पुलिसबल तैनात किया गया। लेकिन, जिस सुबह यात्रा निकलनी थी, उस सुबह मंदिर के आसपास चाय की गुमटियों से लेकर अलग अलग जगहों पर लोगों को पर्चे मिले, जिसमें यात्रा हर हाल में होने की बात थी।

यात्रा के निर्धारित वक्त पर मंदिर से हाथी निकला और उसके साथ साथ हजारों की संख्या में लोग यात्रा में शामिल हो गए। जिस पुलिस ने यात्रा पर रोक लगाई थी, उसे ही श्रद्धालुओं को सुरक्षा देनी पड़ी। अहमदाबाद के लोग इस यात्रा को आज भी स्वयंभू यात्रा के रुप मे याद करते हैं। दिलचस्प ये कि यात्रा के बाद अमरसिंह चौधरी ने जांच कराई कि इस यात्रा को आयोजित करने में नरेंद्र मोदी का क्या रोल था। 

इसी तरह, गुजरात में बिखरे हुए किसान आंदोलन को एकजुट कर अहमदाबाद में 1 लाख किसानों को इकट्ठा कर, गांधी के नमक आंदोलन को इससे जोड़ना भी मोदी की सोची समझी रणनीति का हिस्सा था. 

मोदी की विकास यात्रा का दस्तावेज भी है किताब 

इस किताब को पढ़ते हुए पाठक नरेंद्र मोदी की प्रचारक से लेकर प्रधानमंत्री तक की यात्रा को भी जानते समझते हैं। संघ के पूर्ण कालिक प्रचारक से संगठन के जनरल सेक्रेटरी, सीएम और फिर पीएम बनने वाले मोदी में आखिर वह हुनर था जो उन्हें संगठन, पार्टी और फिर देश के जनमानस में स्थापित करता गया?  

सबसे ज्यादा बात जो समझ आती है वो है मोदी का प्रशासनिक कौशल

लेकिन, सबसे ज्यादा बात जो समझ आती है वो है मोदी का प्रशासनिक कौशल और इसी विषय पर पुस्तक लिखी गई है। किताब की भूमिका में लेखक बताते हैं कि नरेंद्र मोदी कैसे ट्रेनिंग को साइंस कहते हैं और फिर पुस्तक को आगे पढ़ते हुए समझ आता है कि कैसे उन्होंने संगठन में ट्रेनिंग का महत्व स्थापित किया। किताब में एक जगह इस बात का जिक्र है कि कैसे गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने एक नौकरशाह को बुलाकर सरकारी फाइलों को पढ़ने और उससे नोट्स बनाने का तरीका सीखा। इसी किताब में जिक्र है कि 80 के दशक में मोदी ने गुजरात संगठन में चिंतन बैठक की प्रक्रिया आरंभ करायी, जो बाद में राष्ट्रीय स्तर पर लागू हुई।  

गुजरात से निकलकर मोदी को हरियाणा, हिमाचल, मध्य प्रदेश समेत जिस प्रदेश में कार्य करने का मौका मिला, उन्होंने संगठन के स्तर पर अलग अलग प्रयोग किए। इनमें युवा नेताओं को आगे बढ़ाने से लेकर हर जिले में पार्टी का अपना ऑफिस होने तक के प्रयोग शामिल हैं। 

इस किताब को पढ़ते वक्त आप मोदी की कार्यशैली से इस तरह वाकिफ होते हैं

दरअसल, इस किताब को पढ़ते वक्त आप मोदी की कार्यशैली से इस तरह वाकिफ होते हैं कि आपको लगने लगता है कि यह किताब अगर 2014 से पूर्व आई होती तो नरेंद्र मोदी का कोई फैसला कतई नहीं चौंकाता। क्योंकि किताब ध्यान दिलाती है कि 2004 में मोदी ने अपना कैबिनेट गठन किया, तो इसमें सिर्फ 10 मंत्री और छह राज्य मंत्री थे और यह छोटा कैबिनेट मोदी के मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस का नारा बुलंद कर रहा था। इसी तरह, गुजरात में सबसे पहले उन्होंने ‘सबका साथ सबका विश्वास’ नारा दे दिया था। फर्क सिर्फ इतना कि नारा गुजराती में था। इसी तरह बेटियों को पढ़ाने से लेकर गांव गांव तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य मोदी ने गुजरात में रहते हुए ही देख लिया था, और इस पर काम शुरु कर दिया था।

'आम लोग कई बार मान लेते हैं कि नेता ही पार्टी चलाता है'  

अजय सिंह मोदी के सांगठनिक कौशल का जिक्र करते हुए बीजेपी की संगठन के रुप में ताकत को सबसे सामने रख देते हैं, जिससे पाठक यह अंदाज लगाते हैं कि बीजेपी अब एक ऐसी पार्टी है, जो सत्ता के केंद्र में रहेगी ही। दरअसल, आम लोग कई बार मान लेते हैं कि नेता ही पार्टी चलाता है,लेकिन बीजेपी के रुप में संगठन इतना बड़ा और व्यवस्थित हो चुका है कि अब नरेंद्र मोदी के जाने के बाद भी पार्टी आसानी से अपना नेता चुन लेगी। 

'इस पूरी प्रक्रिया में उनका (मोदी) खुद का करियर भी आगे बढ़ा और प्रधानमंत्री पद तक पहुंच गया'

साउथ एशिया मामलों के एक्सपर्ट वाल्टर एंडरसन ने इस पुस्तक की प्रस्तावना में लिखा है, 'अजय सिंह ने एक जरूरी किताब लिखी है, जो भारतीय जनता पार्टी (BJP) को भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी के रूप में बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रभावी संगठनात्मक कौशल का एनालिसिस करती है. इस पूरी प्रक्रिया में उनका (मोदी) खुद का करियर भी आगे बढ़ा और प्रधानमंत्री पद तक पहुंच गया।' 

'यह किताब मोदी के आलोचकों को जरुर पढ़नी चाहिए'

इस किताब को मोदी के प्रशंसक पसंद करेंगे, लेकिन यह किताब मोदी के आलोचकों को जरुर पढ़नी चाहिए क्योंकि इससे समझ आता है कि मोदी के कार्य करने का तरीका क्या है, और उनके हर फैसले के पीछे किस तरह एक रणनीति काम करती है। राजनीतिक कार्यकर्ताओँ को यह किताब इसलिए पढ़नी चाहिए,ताकि समझ आए कि एक संगठन कैसे खड़ा होता है और तमाम राजनीतिक विरोधाभासों और अंतद्वंद के बावजूद संगठन में कुछ लोग निजी स्वार्थ को भुलाकर कैसे काम करते हैं।   

किताब का नाम- द आर्किटेक्ट ऑफ द न्यू बीजेपी: हाऊ नरेंद्र मोदी ट्रांसफॉर्म्ड द पार्टी 

लेखक-अजय सिंह 

प्रकाशक-पेंगुइन रेंडम हाउस इंडिया  

कीमत- 599 रुपए

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर