नई दिल्ली। संसद के नए भवन बनाने की आधारशिला पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों रखी गई। उन्होंने कहा कि जब हम 2047 में आजादी की 100वीं वर्षगांठ मना रहे होंगे तो हमें देखना होगा कि आज से लेकर उस दिन तक हमारा सफर कैसा रहा है। उम्मीद है कि संसद का नया भवन सिर्फ कंक्रीट की इमारत भर ही नहीं होगी, बल्कि भारत की विशिष्ट संस्कृतियों विचारों, सामंजस्य और एकता की झलक पेश करेगी। लेकिन कांग्रेस ने नई बिल्डिंग की डिजाइन पर सवाल खड़ा किया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश का क्या कहना है इसे समझना महत्वपूर्ण है।
क्या कहा जयराम रमेश ने
जयराम रमेश कहते हैंं कि खैर, ब्रिट्स द्वारा निर्मित मौजूदा संसद भवन मध्य प्रदेश के मुरैना में चौसठ योगिनी मंदिर के लिए एक उल्लेखनीय समानता रखता है, जबकि नई ‘आत्मानिर्भर’ संसद भवन वाशिंगटन डीसी में पेंटागन के लिए एक शानदार समानता रखती है।
'नई इमारत की आधारशिला रखने का निर्णय हृदयहीन, संवेदनहीन'
कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल का कहना है कि नई इमारत की आधारशिला रखने का निर्णय हृदयहीन, संवेदनहीन और बेशर्मी से भरा है। खास कर ऐसे समय में जब देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। बीजेपी लोगों को राहत देने के बजाय फालतू जुलूस निकाल रही है।' उन्होंने कहा, 'सरकार का ये कदम अंतिम संस्कार के वक्त डीजे बजाने के बराबर है।
काले कृषि कानूनों के माध्यम से भाजपा ने किसानों की आजीविका पर बुलडोजर चला दिया, दूसरी तरफ वह जनता का पैसा भवन निर्माण पर खर्च कर रही है आज जिस चीज की जरूरत नहीं थी उसे बीजेपी कर रही है। अहंकार को संतुष्ट करने के लिए।' शेरगिल ने दावा किया कि महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में नए संसद भवन की आधारशिला रखने का काम 'किसानों से रोटी छीनने के बाद केक की दुकान खोलने' जैसा है।
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