बुलडोजर एक्शन पर रोक से SC का इन्कारः कहा- अवैध निर्माण पर कैसे बांध सकते हैं हाथ; दवे बोले- फिर सैनिक फार्म अछूता क्यों?

देश
अभिषेक गुप्ता
अभिषेक गुप्ता | Principal Correspondent
Updated Jul 13, 2022 | 14:31 IST

टॉप कोर्ट में यह याचिका जमीयत-उलेमा-ए-हिंद (Jamiat-Ulama-I-Hind) की ओर से दाखिल की गई थी। इस पीटिशन के जरिए यूपी के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने की मांग उठाई गई थी कि  सूबे में सही प्रक्रिया का पालन किए बगैर संपत्तियों को न तोड़ा जाए।

Lucknow, Bulldozer, UP
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।   |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को हुई मामले पर अहम सुनवाई, 10 अगस्त 2022 को अगली हियरिंग
  • अधिकारियों की ओर से जवाब दायर किया गया है कि प्रक्रिया का पालन हुआ- सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता
  • 50 साल से किसी ने सैनिक फार्म इलाके को क्यों नहीं छुआ, वहां भी तो अवैध फॉर्म हाउस देखिए- दवे

बुलडोजर वाले एक्शन को लेकर जमीयत-उलेमा-ए-हिंद (Jamiat-Ulama-I-Hind) को झटका लगा है। बुधवार (13 जुलाई, 2022) को सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले से जुड़ी सुनवाई के दौरान साफ कहा कि वह प्राधिकरणों को देश भर में अवैध निर्णाण के विध्वंस के खिलाफ कार्रवाई करने से रोकने का आदेश पारित नहीं कर सकता है। कोर्ट ने दो टूक पूछा- अगर निगम अफसर अवैध निर्माण के खिलाफ एक्शन लेना चाहते हैं तो फिर हम कैसे उनके हाथ बांध सकते हैं?

कोर्ट की यह टिप्पणी तब आई, जब हियरिंग में सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि चुन-चुनकर एक समुदाय (मुसलमानों) के खिलाफ कार्रवाई हुई। हालांकि, उनकी बात से इत्तेफाक न रखते हुए सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने दावा किया कि यहां मामले में कोई और समुदाय नहीं है। यहां सिर्फ और सिर्फ भारतीय समुदाय है। इस पर दवे ने उन्हें घेर लिया और दो टूक पूछा- सैनिक फार्म तो पूरा अवैध है, लेकिन उसे किसी ने नहीं छुआ। वह क्यों अछूता रह गया?
 
दरअसल, यह याचिका जमीयत की ओर से दाखिल की गई थी। इस पीटिशन के जरिए यूपी के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने की मांग उठाई गई थी कि  सूबे में सही प्रक्रिया का पालन किए बगैर संपत्तियों को न तोड़ा जाए।

याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने बुलडोजर वाले एक्शन से जुड़ी कुछ न्यूज रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए इस मामले को बेहद गंभीर करार दिया। उन्होंने कहा, "हम यह कल्चर (बुलडोजर एक्शन) नहीं चाहते हैं। अधिकारियों को कानून के अनुसार काम करना होगा।"

आगे सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति जताई। साथ ही टॉप कोर्ट को अवगत कराया कि अधिकारियों की ओर से जवाब दायर किया गया है कि प्रक्रिया का पालन किया गया था और नोटिस जारी किए गए थे। यह प्रक्रिया दंगों से बहुत पहले शुरू हुई थी।

दवे ने इसी पर कहा, "एक समुदाय के खिलाफ 'पिक एंड चूज' (चुन-चुनकर) वाला एक्शन हुआ है।" एसजी ने इस पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि इस मामले में कोई और समुदाय नहीं है। यहां सिर्फ और सिर्फ भारतीय समुदाय है। 

सीनियर वकील दवे ने उनके जवाब पर आगे दिल्ली के एक इलाके का जिक्र करते हुए पूछा, "समूचा सैनिक फार्म अवैध है, पर वहां तो कुछ न हुआ। उसे किसी ने नहीं छुआ।" दवे के मुताबिक, "50 साल में वहां कोई एक्शन नहीं हुआ। वहां के अवैध फार्म हाउस भी तो देखिए। चुनिंदा कार्रवाई ही हो रही है।" 

कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर अगर निगम के अफसर अवैध निर्माण के खिलाफ एक्शन लेना चाहते हैं, तो हम कैसे उनके हाथ बांध सकते हैं? वैसे, कोर्ट ने इसके साथ ही राज्यों में विध्वंस रोकने के लिए अंतरिम निर्देश पारित करने से इन्कार कर दिया। कहा कि वह अधिकारियों को कार्रवाई करने से रोकने के लिए सर्वव्यापी आदेश पारित नहीं कर सकता है। मामले पर अब अगली सुनवाई 10 अगस्त, 2022 को होगी। 

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