नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून का एक तबका विरोध कर रहा था। दिल्ली का शाहीन बाग आंदोलन का केंद्र था उसके साथ देश के अलग अलग हिस्सों में आवाज उठी। लेकिन मुस्लिम समाज के एक तबके को उस कानून में अपने लिए उम्मीद नजर आ रही है। बताया जा रहा है कि रोहिंग्या और अफगानी मुसलमान ईसाई धर्म अपना रहे हैं। दरअसल सीएए के तहत जो लोग (हिंदू, सिख, बौद्ध जैन, पारसी और क्रिश्चियन धर्म) अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान से आए हैं उनके लिए नागरिकता के नियम को आसान बनाया गया है।
रोहिंग्या बन रहे हैं ईसाई
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्रीय एजेंसियों ने सरकार को जो जानकारी मुहैया कराई है उसके मुताबिक अफगानिस्तान से आने वाले कम से कम 25 मुस्लिमों मे ईसाई धर्म अपना लिया है। 2019 में संसद मे नागरिकता संशोधन कानून के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्मों को मानने वालों के लिए नागरिकता कानून आसान बनाया था। पहले किसी शख्स को भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था। लेकिन इसमे अब परिवर्तन कर भारतीय प्रवास के लिए 1 साल से 6 साल तक प्रावधान है
भारत में करीब डेढ़ लाख अफगानी और 40 हजार रोहिंग्या मुस्लिम
आंकड़े के अुनसार डेढ़ लाख से अधिक अफगानी मुसलमान दिल्ली के ईस्ट कैलाश, लाजपत नगर, अशोक नगर और आश्रम में रहते हैं।इसके साथ ही यह भी अनुमान है कि करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान पूरे भारत में रहते हैं। जम्मू-कश्मीर में इनकी संख्या सबसे ज्यादा है। बड़े पैमाने पर रोहिंग्या मुसलमान 2012 से देश में रह रहे हैं और वो अपने आपको बांग्लादेशी मानते हैं, अब उन्हें सीएए में खुद के लिए भारतीय नागरिक बनने की उम्मीद नजर आ रही है।
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