भाजपा का मिशन दक्षिण, क्षेत्रीय दलों का बिगाड़ेगा खेल ! महाराष्ट्र से लेकर तमिलनाडु तक उथल-पुथल

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Jul 12, 2022 | 20:40 IST

BJP South Mission: महाराष्ट्र के बाद अब तमिलनाडु के प्रमुख क्षेत्रीय दल एआईडीएमके (AIADMK)में भी बगावत हो गई है। गोवा मेें भी कांग्रेस में बगावत ऊबाल पर है।

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दक्षिण भारत के क्षेत्रीय दलों के सामने बड़ी चुनौती  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • भाजपा की परिवारवाद के सहारे दक्षिण भारत के सत्ताधारी दलों को घेरने की रणनीति है ।
  • तेलंगाना में केसीआर पर भाजपा परिवारवाद का आरोप लगा रही है।
  • महाराष्ट्र में शिव सेना को बड़ा झटका लग चुका है ।

BJP South Mission: पिछले कुछ दिनों से भारतीय राजनीति का फोकस उत्तर भारत से शिफ्ट होकर दक्षिण भारत की ओर हो गया है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गोवा में राजनीतिक उथल-पुथल जारी है। और इस उथल-पुथल के बीच भाजपा ने दक्षिण मिशन का ऐलान कर दिया है। और वह अपने मिशन को सफल बनाने के लिए परिवारवाद पर सबसे ज्यादा दांव लगा रही है। जिसका असर आने वाले समय में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु से लेकर दक्षिण भारत के दूसरे राज्यों में दिखेगा।

महाराष्ट्र, गोवा, तमिलनाडु तक उथल-पुथल

पिछले 20 दिन के घटनाक्रमों को देखा जाय तो महाराष्ट्र के प्रमुख क्षेत्रीय दल शिव सेना में बगावत हो गई है। और उसके नेतृत्व में चल रही महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई । भाजपा के सहयोग से बागी नेता एकनाथ शिंदे ने अपने गुट के साथ सरकार बना ली है। और शिव सेना में लोक सभा सांसद से लेकर पार्षद तक बगावत पर उतर आए हैं। हालात यह हैं कि जिस भाजपा से उद्धव ठाकरे को सबसे बड़ा झटका लगा है, उसी भाजपा के समर्थित राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने पर वह मजबूर हो गए हैं। साफ है उद्धव ठाकरे इस समय बाल ठाकरे की राजनीतिक विरासत को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

महाराष्ट्र के बाद अब तमिलनाडु के प्रमुख क्षेत्रीय दल एआईडीएमके (AIADMK)में भी बगावत हो गई है। और जयललिता के सहयोगी रहे ओ पनीरसेल्वम और ई पलानीस्वामी के बीच पार्टी की कमान को लेकर खींचतान भारी पड़ रही है। इस जंग में पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम को बड़ा झटका लगा है। मद्रास हाईकोर्ट द्वारा जनरल काउंसिल की बैठक की मंजूरी मिलने के बाद  के. पलानीस्वामी को AIADMK का अंतरिम महासचिव चुन लिया गया। ओ पनीरसेल्वम को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और कोषाध्यक्ष के पद से निष्कासित कर दिया गया है। पन्नीरसेल्वम के समर्थक भी निष्कासित कर दिए गए हैं। जाहिर है इस खींचतान से AIADMK को ही नुकसान होगा।

गोवा में भी कांग्रेस में बगावत जमीन पर आ गई है। माइकल लोबो के साथ पार्टी के 5-7 विधायक कांग्रेस का साथ छोड़ने  की तैयार में थे। लेकिन आलाकमान के दखल के बाद फिलहाल बगावच टल गई है। हालांकि यह बगावत कितने दिन रुकेगी, इसी पर सबकी नजर है।

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तेलंगाना पर है भाजपा की नजर

भारतीय जनता पार्टी की हैदराबाद में आयोजित दो दिवसीय  राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में साफ तौर पर कहा गया है कि वह आने वाले समय में परिवारवाद को बड़ा मुद्दा बनाएगी। भाजपा तेलंगाना में TRS के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव को परिवारवाद के सहारे घेरने की तैयारी में है। 2023 के चुनाव में वह केसीआर को परिवाद के सहारे घेरेगी। इसी तरह भाजपा परिवारवाद के सहारे कर्नाटक, तमिलनाडु में खास तौर से आक्रामक रणनीति दिखा सकती है। क्योंकि कर्नाटक में वह देवगौड़ा परिवार,तमिलनाडु में करूणानिधि परिवार पर निशाना साध कर, वोटर में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति पर जोर देगी।

कर्नाटक से आगे नहीं बढ़ पाई है भाजपा

इस समय भाजपा और उसके सहयोगियों की देश के 18 राज्यों में सरकार है। इसमें से 12 राज्यों में उसके मुख्यमंत्री हैं। लेकिन जहां तक दक्षिण भारत की बात है तो वह अभी भी कर्नाटक से आगे नहीं बढ़ पाई है। केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में वह सत्ता में है लेकिन वह छोटे सहयोगी के रूप में है। उसके पास आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल से कोई भी लोक सभा सांसद नहीं है। जबकि इन तीन राज्यों में 84 सीटें आती हैं। इसी तरह तेलंगाना में उसे पहली बार 2019 के चुनाव में 4 लोक सभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी। 

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