नई दिल्ली। कोरोना काल में चीन की बौखलाहट भी बढ़ती जा रही है। अमेरिका के साथ साथ दूसरे देशों का मानना है कि चीन की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है, लिहाजा चीन भी अलग अलग तरह से दुनिया को संदेश दे रहा है कि अगर उससे किसी ने टकराने की जुर्रत की तो ठीक नहीं होगा। इसके साथ ही चीन में सिक्किम और पूर्वी लद्दाख में जिस तरह की हरकत की है उसके बाद माहौल गरमा गया है।
प्रशांत भूषण ने कसा तंज
भारत ने भी साफ कर दिया है कि अगर कूटनीतिक तौर पर कोई रास्ता नहीं निकलेगा तो चीन की हरकतों का जवाब दिया जाएगा। लेकिन भारत में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपने अंदाज में इस मुद्दे पर सियासत कर रहे हैं। मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि क्या संघ के लोग चीन सीमा पर साहस दिखाएंगे। अब ऐसे में समझना है कि आरएसएस की तरफ से कैसा बयान आया था।आरएसएस प्रमुख ने मोहन भागवत ने कहा था कि आम तौर सेना इस तरह की तैयारी करने में 6 से सात महीने का समय लेती है लेकिन संघ के कार्यकर्ता सिर्फ 2 से तीन दिन लेंगे।
प्रशांत भूषण का बयान बना बवाल
प्रशांत भूषण के इस बयान पर कई मशहूर लोगों ने बौद्धिक दिवालियापन करार दिया। रिटायर्ट मेजर जनरल जी डी बख्शी कहते हैं कि दरअसल कुछ लोगों की यह आदत बन चुकी है कि वो किसी भी विषय पर विरोध कर सकते हैं। उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों में भी राजनीति नजर आती है। जी डी बख्शी कहते हैं कि चीन क्या कहता है, करता है उसे देश ने 1962 में देखा है। चीन पर ऐतबार नहीं किया जा सकता है। आरएसएस प्रमुख ने जो कहा था कि उसका मतलब निकाल कर एक तरह से उन्होंने भारत की ताकत को कमतर कर पेश किया है।
पूर्वी लद्दाख पर चीन की नजर
दरअसल कोरोना के खिलाफ लड़ाई में चीन इस समय सवालों के घेरे में है। इसके साथ ही ताइवान के मुद्दे पर भारत के दो सांसदों के सकारात्मक रुख को चीन ने अपने घरेलू मामले में दखल माना। इसके बाद चीन ने अपनी उन्हीं पुरानी चालों को दोहराना शुरू किया जो उसकी फितरत रही है। सिक्किम में समस्या पैदा किया तो दूसरी तरफ नेपाल को उकसाने का काम किया। इसके साथ ही लद्दाख में एलएसी पर सैनिकों का जमावड़ा किया।
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