नई दिल्ली : भारत के साथ सीमा विवाद के बीच चीन ने हाल ही में अपनी सरहदों की सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए एक नया कानून पारित किया है, जो 1 जनवरी से लागू होने वाला है। इस बीच भारत ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से बुधवार को जारी बयान में कहा गया है कि यह चिंता की बात है। चीन के इस कदम को एकपक्षीय निर्णय करार देते हुए कहा गया है कि इसका असर द्विपक्षीय सीमा प्रबंध व्यवस्था पर भी हो सकता है।
चीन के नए सीमा कानून पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चीन का यह एकपक्षीय फैसला हमारे लिए चिंता का कारण है, जिसका असर सीमा प्रबंधन को लेकर द्विपक्षीय व्यवस्था व समझ पर हो सकता है। हमें उम्मीद है कि चीन इस कानून का हवाला देते हुए भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में किसी भी तरह के बदलाव के लिए ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा, जो एकपक्षीय हो।
भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, 'इस नए कानून का पारित होना (चीन का नया भूमि सीमा कानून) हमारे विचार में 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान 'सीमा समझौते' को कोई वैधता प्रदान नहीं करता है, जिसे भारत लगातार अवैध बताता रहा है।
चीन की ओर से यह कानून ऐसे समय में आया है, जबकि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख और पूर्वोत्तर के राज्यों में लंबे समय से सीमा विवाद चल रहा है। दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर की कई दौर की वार्ता के बावजूद पूर्वी लद्दाख में बीते एक साल से भी अधिक समय से गतिरोध की स्थिति बनी हुई है। चीन ने नए भूमि सीमा कानून में सीमा की रक्षा को 'चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता' से जोड़ा है।
सीमा सुरक्षा को खतरे की स्थिति, सैन्य टकराव या युद्ध की स्थिति में चीन अपनी सीमाएं बंद कर सकता है। इसमें सीमा से जुड़े इलाकों में निर्माण कार्यों को बेहतर करने पर भी जोर दिया गया है। इसका अर्थ यह है कि चीन सीमा से जुंड़े इलाकों में अपनी सुरक्षा को मजबूत करने और आर्थिक व सामाजिक विकास में सहयोग, सार्वजनिक सेवाओं और आधारभूत ढांचे में सुधार के लिए भी जरूरी कदम उठा सकता है।
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