नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत-चीन तनाव के बीच अब कहा जा रहा है कि चीनी सैनिक गलवान घाटी में पीछे की तरफ लौट गए हैं। बताया जा रहा है कि 22 जुलाई को भारत और चीन के बीच सैन्य अधिकारियों की जो बातचीत हुई थी, चीन ने उसमें अपने सैनिकों के पीछे तरफ लौटने का आश्वासन दिया था और यह कदम उसी के तहत उठाया गया है।
समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से दी रिपोर्ट में कहा है कि चीनी पक्ष ने इस सप्ताह की शुरुआत में भारत के साथ हुई सैन्य वार्ता के दौरान गलवान घाटी में पीछे हटने का आश्वासन दिया था, जिसके मद्देनर कुछ सैनिकों व सैन्य वाहनों को गलवान घाटी में फ्रंट से पीछे की तरफ हटाया गया है। इससे पहले ऐसी रिपेार्ट सामने आई थी कि चीनी पक्ष ने बातचीत में एलएसी पर विवादित स्थल से दूर जाने को लेकर बनी सहमति को मानने से इनकार कर दिया था।
यहां उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता 22 जून को हुई थी। दोनों पक्षों के बीच बातचीत करीब 11 घंटे तक चली थी, जिसमें सूत्रों के अनुसार इस पर आपसी सहमति बनी थी कि दोनों पक्ष विवादों व आपसी झड़प से दूर रहेंगे। मोल्दो में हुई बातचीत के दौरान आपसी टकराव को टालने को लेकर विस्तृत चर्चा की गई थी। भारत और चीन के बीच इससे पहले 6 जून को भी सैन्य स्तर की बातचीत हुई थी।
गलवान घाटी से चीनी फौज के ऐसे समय में पीछे हटने की रिपोर्ट सामने आई है, जबकि रिपोर्ट्स में यह दावा भी किया जा रहा है कि चीन अब पूर्वोत्तर भारत से लगे इलाकों में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है और उसने एलएसी पर अपनी तरफ देपसैंग में नया मोर्चा खोल लिया है, जहां उसने बड़ी संख्या में अपने सैनिकों व भारी हथियारों का जमावड़ा किया हुआ है। इस बीच भारत ने भी पूरी सैन्य तैयारी की हुई, ताकि किसी भी तरह के सैन्य टकराव की स्थिति में चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।
यहां उल्लेखनीय है कि गलवान घाटी में 15 जून को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ था, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए। इस खूनी संघर्ष में चीन के सैन्य कमांडर व अन्य सैनिकों के भी हताहत होने की रिपोर्ट है, लेकिन चीन ने इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है।
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