Citizenship bill in Lok Sabha: लंबी बहस के बाद लोकसभा से पारित नागरिकता संशोधन बिल, देर रात तक चली कार्यवाही

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Updated Dec 10, 2019 | 00:12 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Citizenship bill in Lok Sabha Updates: लोकसभा ने नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी है। विधेयक के पक्ष में 311 मत और विरोध में 80 मत पड़े। बिल पर लोकसभा में लंबी चर्चा हुई।

Citizenship bill in Lok Sabha LIVE: नगारिकता संशोधन बिल आज लोकसभा में होगा पेश
Citizenship bill in Lok Sabha LIVE:लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर चर्चा 
मुख्य बातें
  • विरोध के बीच सोमवार को नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में पेश हुआ
  • बिल पर 6-7 घंटे की बहस हुई, देर रात तक लोकसभा की कार्यवाही चली, बाद में बिल पारित हुआ
  • बिल के पक्ष में 311 और विरोध में 80 वोट पड़े। गृह मंत्री ने कहा कि बिल किसी के विरोध में नहीं

Citizenship bill in Lok Sabha: विपक्ष के भारी विरोध के बीच नागरिकता संशोधन बिल सोमवार को लोकसभा में पेश किया गया। गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बिल को पेश किया। विधेयक को पेश किए जाने के लिए विपक्ष की मांग पर मतदान करवाया गया और सदन ने 82 के मुकाबले 293 मतों से इस विधेयक को पेश करने की स्वीकृति दे दी। इसके बाद बिल पर चर्चा हुई। बिल पर 6 से 7 घंटे तक चर्चा हुई। देर रात तक लोकसभा की कार्यवाही चली। आखिर में अमित शाह ने चर्चा का जवाब दिया। इसके बाद संशोधनों पर वोटिंग हुई, जिसमें विपक्ष के सभी संशोधन खारिज हो गए। अंतत: बिल लोकसभा से पारित हो गया। बिल के पक्ष में 311 और विरोध में 80 वोट पड़े। 

 

नागरिकता संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'ये बिल शरणार्थियों की यातनाओं के अंत के लिए है। इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होता तो मुझे ये बिल लाने की जरूरत नहीं पड़ती। ये मानना पड़ेगा कि देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ। ये बिल संविधान के खिलाफ नहीं है। लाखों-करोड़ों शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी। कानून बनाने को लेकर अनुच्छेद 14 में रोक नहीं।'

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में 1947 में 23 प्रतिशत हिंदू थे, 2011 में घटकर 3.4% हो गए। भारत में 1991 में 84 प्रतिशत हिंदू थे, जो 2011 में घटकर 79% हो गए। यहां अल्पसंख्यक कम नहीं हुए, वहां कम हुए। भारत में 1991 में 9.8% मुस्लिम थे, और आज 14.2% हो गए। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक की हालत बहुत खराब। हमने अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव नहीं किया, ना करेंगे। ये बिल प्रताड़ित शरणार्थियों के लिए है। पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार नहीं देख सकते।  प्रताड़ित शरणार्थी होता है, घुसपैठिया नहीं।

शाह ने कहा, 'मनीष तिवारी ने कहा कि लम्हों ने खता की और सदियों ने सजा पाई। ये नरेंद्र मोदी की सरकार ऐसी खता नहीं करेगी। कांग्रेस बताए कि देश का बंटवारा क्यों हुआ। कांग्रेस ने 2 नेशन थ्योरी को क्यों माना? जिन देशों को इसमें शामिल किया गया है, वहां मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं हैं, इसलिए उन्हें शामिल नहीं किया गया है। रोहिंग्या को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते इस देश में किसी को डरने की जरूरत नहीं है। भारतीय मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं है। सबकी सुरक्षा इस सरकार की जिम्मेदारी है।'

शरणार्थी और घुसपैठिए के बीच अंतर होता है। जो लोग उत्पीड़न के कारण, अपने धर्म और अपने परिवार की महिलाओं के सम्मान को बचाने के लिए आते हैं, वे शरणार्थी हैं और जो लोग अवैध रूप से यहां आते हैं, वे घुसपैठिए हैं।

हम जब NRC लागू करेंगे तो देश में एक भी घुसपैठिया नहीं बचेगा। एनआरसी लागू होकर ही रहेगा। कांग्रेस देश में ऐसी धर्मनिरपेक्ष पार्टी है जिसकी केरल में सहयोगी मुस्लिम लीग है और महाराष्ट्र में शिवसेना उसकी सहयोगी है।

देश के मुस्लिमों का इस बिल से कुछ लेना-देना नहीं है। सिर्फ तीन देशों से आए धार्मिक रूप से प्रताड़िता शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी। मोदी सरकार में संविधान ही हमारा धर्म है। नेहरू ने सबसे पहले धर्म के आधार पर नागरिकता दी। अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम इनर लाइन परमिट (ILP) द्वारा सुरक्षित हैं, उन्हें चिंता करने की कोई बात नहीं है। दीमापुर के एक छोटे से हिस्से को छोड़कर नागालैंड इनर लाइन परमिट द्वारा संरक्षित है, उन्हें भी चिंता करने की कोई बात नहीं है।

शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर सिंह बाद ने कहा, 'हम मुसलमानों के नाम क्यों नहीं जोड़ते हैं? इस तरह के मामले हैं कि मुसलमानों को उनके धर्म के भीतर सताया जा रहा है। मैं आपको पंजाब में अहमदिया समुदाय का उदाहरण दूंगा, पूरी दुनिया में कादियान उनका मुख्यालय है। वे पाकिस्तान में अल्पसंख्यक मुसलमान हैं।'

असम के धुबरी से AIUDF के सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि यह बिल 1985 के असम समझौते के खिलाफ है।

CAB के विरोध में ओवैसी ने फाड़ी बिल की कॉपी

AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में बिल का विरोध करते हुए विधेयक की कॉपी को फाड़ा। उन्होंने कहा, 'बिल संविधान के खिलाफ है। एक और बंटवारा होने जा रहा है। मुस्लिमों से सरकार को इतनी नफरत क्यों है। मुसलमानों को दबाया जा रहा है। विधेयक भारत के स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है।' उन्होंने सरकार से यह भी पूछा कि उसने चीन जैसे देशों को शामिल क्यों नहीं किया, जो भारत और अन्य देशों के कुछ हिस्सों पर कब्जा करता है। क्या आप चीन से डरते हैं?

LJP ने नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया। पार्टी नेता चिराग पासवान ने कहा कि सीएबी के खिलाफ गलत सूचना फैलाई जा रही है। बिल का भारत में मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है।

कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने बिल का विरोध करते हुए कहा, 'बीजेपी हिंदू राष्ट्र बनाने की ओर बढ़ रही है। तोड़ने नहीं जोड़ने का काम होना चाहिए। बिल संविधान के खिलाफ है।'

एनसीपी की सुप्रिया सुले ने कहा, 'हमारे लोकतंत्र की पूरी प्रकृति समानता है और मैं अनुच्छेद 14 और 15 के बारे में बात कर रही हूं, मैं गृह मंत्री द्वारा आश्वस्त नहीं हूं, यह सुप्रीम कोर्ट में नहीं टिक पाएगा। मैं उनसे इस पर पुनर्विचार करने और विधेयक को वापस लेने का अनुरोध करती हूं।' 

तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के नामा नागेश्वर राव ने कहा, 'हम अपनी धर्मनिरपेक्ष पार्टी नीति के अनुरूप नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 का विरोध करते हैं। हम भारतीय संविधान के प्रावधानों और भावना का कड़ाई से पालन करते हैं।'

बसपा के अफजल अंसारी ने कहा, 'बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती जी ने कहा था कि नागरिकता संशोधन विधेयक असंवैधानिक है और इसका विरोध किया है। आज भी हम बिल के खिलाफ खड़े हैं।' 

जदयू के राजीव रंजन सिंह ने कहा, 'हम इस बिल का समर्थन करते हैं। इस बिल को भारतीय नागरिकों के बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक दोनों के प्रकाश में नहीं देखा जाना चाहिए। अगर पाकिस्तान के सताए गए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जाती है तो मुझे लगता है कि यह सही बात है।'

शिवसेना ने किया बिल का समर्थन, साथ ही रखी ये मांग

शिवसेना के विनायक राउत ने कहा, 'बिल में उल्लिखित इन छह समुदायों के कितने शरणार्थी भारत में रह रहे हैं? गृह मंत्री ने इसका जवाब नहीं दिया, नागरिकता मिलने पर हमारी आबादी कितनी बढ़ जाएगी? इसके अलावा, श्रीलंका से तमिलों के बारे में क्या?' शिवसेना के विनायक राउत ने बिल का समर्थन देते हुए कहा कि श्रीलंका, अफगानिस्तान के हिंदुओं को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगले 25 सालों के लिए उन्हें कोई मतदान का अधिकार नहीं देना चाहिए।

वाईएसआरसीपी के मिधुन रेड्डी ने कहा, 'हम इस विधेयक का समर्थन करते हैं लेकिन हमारी कुछ चिंताएं भी हैं, हम उम्मीद करते हैं कि सरकार हमारी चिंताओं पर ध्यान देगी। यहां तक कि मुसलमानों के बीच भी संप्रदाय हैं जो सताए जाते हैं, हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि उनके साथ भी बराबर का व्यवहार हो।'

भाजपा का भारत का विचार विभाजनकारी: TMC

टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने बिल के विरोध में कहा, 'इस बिल से स्वामी विवेकानंद को झटका लगा होगा क्योंकि यह उनके भारत के विचार के खिलाफ है। भाजपा का भारत का विचार विभाजनकारी है। अगर हम महात्मा गांधी के शब्दों को नजरअंदाज करेंगे और सरदार पटेल की सलाह पर ध्यान नहीं देंगे तो यह विनाशकारी होगा।'

चर्चा में भाग लेते हुए डीएमके के दयानिधि मारन ने कहा, 'संभवतः पश्चिम का डर, पश्चिम द्वारा अलग-थलग पड़ने का डर आप में व्याप्त हो गया है और आपको इस बिल में ईसाइयों को शामिल करना पड़ा। इसके अलावा अगर पीओके के मुस्लिम आना चाहते हैं तो क्या होगा? उनके लिए आपके पास क्या कानून है?'

कांग्रेस की तरफ से बोले मनीष तिवारी, जताया विरोध

कांग्रेस की तरफ से मनीष तिवारी इस बिल के विरोध में बोले। उन्होंने इस बिल को असंवैधानिक, गैरसंवैधानिक और संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया। मनीष तिवारी ने कहा है कि नागरिकता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और CAB समानता का उल्लंघन करता है। संविधान धार्मिक भेदभाव को प्रतिबंधित करता है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 15, अनुच्छेद 21, अनुच्छेद 25 और 26 के खिलाफ है। यह विधेयक असंवैधानिक है और समानता के मूल अधिकार के खिलाफ है।

लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर बोलते हुए अमित शाह ने कहा, 'इस बिल के हिसाब से किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। बिल के पीछे कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है। बिल हमारी संस्कृति को परिभाषित करता है। कोई यूं ही अपना देश नहीं छोड़ता है। देश छोड़िए गांव नहीं छोड़ता है। कोई प्रताड़ित होता है, अपमानित होता है, इसलिए देश छोड़ता है। 70 साल से जिनके साथ अन्याय हुआ है, ये बिल उनके साथ न्याय करेगा।'

बॉर्डर की सुरक्षा करना हमारा कर्तव्य: अमित शाह

गृह मंत्री ने कहा, 'कांग्रेस साबित करे कि बिल किसी के साथ अन्याय करता है। धर्म के आधार पर किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। अपने बॉर्डर की सुरक्षा करना हमारा कर्तव्य है। 1947 में जितने भी शरणार्थी आए सभी भारतीय संविधान द्वारा स्वीकार किए गए, शायद ही देश का कोई ऐसा क्षेत्र होगा जहां पश्चिम और पूर्वी पाकिस्तान के शरणार्थी नहीं बसते थे। मनमोहन सिंह जी से लेकर लालकृष्ण आडवाणी जी तक, सभी इसी श्रेणी के हैं।'

'कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का बंटवार किया'

विपक्ष को जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार सभी सवालों का जवाब देने के लिए तैयार है। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि लोग पूछ रहे हैं कि आजादी के बाद इस बिल की जरूरत क्यों पड़ी। इस सवाल का जवाब स्पष्ट है कि अगर कांग्रेस ने धर्म के आधार देश के बंटवारे में हिस्सा न बनी होती तो इस बिल की जरूरत ही नहीं पड़ती। सच तो ये है कि इस बिल की आवश्यकता कांग्रेस की वजह से पड़ी है।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस बिल के जरिए सरकार देश के अल्पसंख्यकों के हितों पर हमला करने जा रही है। लेकिन उनके आरोपों पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि यह बिल अल्पसंख्यकों के .001 फीसद खिलाफ नहीं है। 

लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि यह बिल अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में उन हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी और जैन के लिए हैं जिन्हें धार्मिक प्रताणना का शिकार होना पड़ा। इस बिल के जरिए उन लोगों को नागरिकता हासिल हो जाएगी। इस तरह के आरोपों में दम नहीं है कि इस बिल के जरिए मुस्लिमों के अधिकार वापस ले लिए जाएंगे। 

स्पीकर ओम बिड़ला ने ओवैसी से कहा कि आप इस तरह की असंसदीय भाषा का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही से इस बयान को निकाल दिया जाएगा।  

अमित शाह का नाम हिटलर और डेविड गुरियन के साथ लिया जाएगा: ओवैसी

चर्चा में हिस्सा लेते हुए एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि स्पीकर साहब आप से यह अर्जी है कि देश को इस कानून से बचाइए इसके साथ ही गृहमंत्री को भी नहीं तो जिस तरह से नुरेमबर्ग रेस लॉ और इजराइल की नागरिकता अधिनियम की तरह गृहमंत्री का नाम भी हिटलर और डेविड गुरियन के साथ लिया जाएगा। 

अमित शाह ने विपक्षी दलों से कहा कि अभी तो आप लोग इस बिल पर चर्चा में शामिल हों। जब वो इस विषय पर जवाब देंगे तो आप लोग सदन का बहिष्कार मत करना। इस बिल के प्रावधानों पर विपक्षी दलों को ऐतराज है। विपक्षी दलों का कहना है कि जिस रूप में इस बिल को लाया जा रहा है वो संविधान की भावना के खिलाफ है।लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल के पेश किए जाने से पहले ही त्रिपुरा में विरोध शुरू हो चुका है।

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