शेख हसीना के परिवार की जान बचाने के लिए पाकिस्तानियों से निहत्थे भिड़ गए थे कर्नल अशोक तारा

देश
मुकुन्द झा
मुकुन्द झा | प्रोड्यूसर
Updated Dec 17, 2021 | 16:59 IST

1971 War : अशोक तारा खुद पंजाबी थे इसलिए वो सब समझ रहे थे। इसी बीच मेजर अशोक तारा ने पाकिस्तानियों से कहा कि पाकिस्तान की सेना ने सरेंडर कर दिया है लेकिन पाकिस्तानी मानने को तैयार नहीं थे।

 Colonel Ashok Tara fought with Pakistani soldiers to save Sheikh Hasina family
कर्नल तारा सिंह ने बचाई थी शेख हसीना के परिवार की जान।  |  तस्वीर साभार: PTI

16 दिसंबर 1971 को भारत ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे और बांग्लादेश नाम के एक आजाद मुल्क का जन्म हुआ था। बांग्लादेश को आजाद हुए 50 साल पूरे हो गए हैं। हम किस्सा बताने वाले हैं कि आखिर क्यों बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत को अपना सच्चा दोस्त मानती है और 17 दिसंबर 1971 की सुबह शेख हसीना का परिवार उस वक्त कहां था और किन परिस्तिथियों में था। कैसे हिंदुस्तानी फौज ने बांग्लादेश को आजाद करवाने के साथ मौजूदा प्रधानमंत्री शेख हसीना की जान बचायी थी। 

शेख हसीना ने कर्नल तारा का जिक्र किया
2020 में हुए एक द्विपक्षीय कार्यक्रम में शेख हसीना ने पीएम मोदी के साथ मंच साझा किया था और इस मौके पर उन्होंने कर्नल अशोक तारा का जिक्र करते हुए धन्यवाद किया था। शेख हसीना ने कहा था कर्नल अशोक तारा जो उस वक्त मेजर थे। उन्होंने 17 दिसंबर की सुबह पाकिस्तानियों के कब्जे से हमें छुड़ाया और हमारी जान बचायी थी। मैं कर्नल तारा और भारत के लोगों की शुक्रगुजार हूं। 

मेजर अशोक तारा, उम्र 29 साल। भारत औक पाकिस्तान की जंग अपने आखिरी पलों में थी। पाकिस्तान हार मान चुका था और भारत के शौर्य की गाथा लिखी जानी थी। दूसरी तरफ बांग्लादेश का प्रथम परिवार या फादर ऑफ बांग्लादेश शेक मुजीबुर्रहमान का परिवार अभी भी पाकिस्तानी सैनिकों की गिरफ्त में था। शेख मुजीब के परिवार को 12 पाकिस्तानी सैनिकों ने बंधक बना रखा था। शेक मुजीब का परिवार ढाका के धनमोंडी नाम के इलाके में था और जो भी उस घर की तरफ जाता पाकिस्तानी सैनिक उनपर हमला कर देते। ऐसे में अशोक तारा ने अपने हथियार सैनिकों को दिए और निहत्थे पाकिस्तानियों के सामने चले गए। अशोक तारा बताते हैं कि पाकिस्तानी सैनिक पंजाबी में गालियां दे रहे थे और चिल्ला रहे थे। 

पाकिस्तानी अब भी पीछे हटने को तैयार नहीं थे
अशोक तारा खुद पंजाबी थे इसलिए वो सब समझ रहे थे। इसी बीच मेजर अशोक तारा ने पाकिस्तानियों से कहा कि पाकिस्तान की सेना ने सरेंडर कर दिया है लेकिन पाकिस्तानी मानने को तैयार नहीं थे। इसी बीच एक हिंदुस्तानी हेलीकॉप्टर ऊपर से उड़कर गया। अशोक तारा ने फिर पाकिस्तानियों से पूछा कि कभी ऐसे हिंदुस्तानी हेलीकॉप्टर अपनी सरजमीं पर देखा है। तब जाकर पाकिस्तानी सैनिक माने और कहा कि हम अपने सीनियर अधिकारियों से पूछेंगे। पाकिस्तानी अब भी पीछे हटने को तैयार नहीं थे। मेजर अशोक को डराने के लिए पाकिस्तानियों ने आसपास के घरों पर फायरिंग की। लेकिन मेजर अशोक दृढ़ता के साथ खड़े रहे। पाकिस्तानियों को डराने के लिए मेजर अशोक ने कहा कि देखो अगर तुम देर करोगे तो किसी भी वक्त मुक्ति बाहिनी और इंडियन आर्मी के लोग आएंगे और तुम्हें मार देंगे। पाकिस्तान में जो तुम्हारा परिवार है उससे मिल नहीं पाओगे और तुम्हारे शरीर का क्या होगा ये भी तुम सोच लो। 

अब पाकिस्तानी थोड़ सहम गए और ये समझने लगे की हो सकता है मामला गड़बड़ है। करीब 25 मिनटों तक ये बातें हुई। आखिर में जब अशोक तारा ने कहा कि एक हिंदुस्तानी सेना के अधिकारी होने के नाते मैं ये वादा करता हूं कि मैं तुम्हें तुम्हारे हेडक्वार्टर ले जाउंगा जहां से तुम अपने देश वापस जा सकते हो। इसके बाद पाकिस्तानियों ने सरेंडर किया। 

लेकिन असली किस्सा तो अब शुरू हुआ। जैसे ही पाकिस्तानी सैनिकों ने सरेंडर किया और मेजर तारा ने घर का दरवाजा खोला तो सबस पहले शेख मुजीबुर्रहमान की पत्नी बाहर आईं और मेजर अशोक तारा को गले लगाते हुए कहा कि तुम्हें भगवान ने भेजा है और तुम मेरे बेटे हो। फिर शेख मुजीब के भाई और क्रांतिकारी कोखा निकलकर आए जिन्होंने मेजर तारा को बांग्लादेश का झंडा थमाया और कहा इसे ऊपर ले जाकर फहरा दीजिए और पाकिस्तानी झंडे को फेंक दीजिए। पाकिस्तानी झंडे को जमीन पर जब फेंका गया तो मेजर तारा बताते हैं कि शेक मुजीब की पत्नी ने उसे पैरों से कुचल दिया और जोर से चिल्ला उठीं जॉय बांग्ला!

आपको बता दें कि उस वक्त उस घर में बांग्लादेश की मौजूदा प्रधानमंत्री शेख हसीना अपने नवजात बच्चे के साथ थीं। बाद में शेख मुजीबुर्रहमान ने भी मेजर अशोक तारा को कई मौकों पर बुलाकर सम्मान दिया और परिवार की जान बचाने के लिए धन्यवाद किया।
 

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