सेना में शामिल होने के लिए 12 बार नाकाम रहे कर्नल आशुतोष शर्मा, 13वें प्रयास में मिली सफलता

देश
भाषा
Updated May 04, 2020 | 16:41 IST

Colonel Ashutosh Sharma: जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले में शहीद हुए कर्नल आशुतोष शर्मा ने सेना में शामिल होने के सपने को साकार करने के लिए साढ़े छह सालों तक 12 बार नाकामी झेली।

Colonel Ashutosh Sharma
शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा  

नई दिल्ली: हाल में जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले में शहीद हुए कर्नल आशुतोष शर्मा कितने जुनूनी थे यह इस बात से ही समझा जा सकता है कि सेना में शामिल होने के सपने को साकार करने के लिए उन्होंने साढ़े छह सालों तक 12 बार नाकामी झेली लेकिन हिम्मत नहीं हारी, और 13वें प्रयास में सेना की वो वर्दी हासिल की जिसकी उन्हें तमन्ना थी। उत्तरी कश्मीर में शनिवार देर रात आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान शहीद होने वाले पांच सुरक्षाकर्मियों में कर्नल शर्मा भी शामिल थे। कर्नल शर्मा आतंकवाद विरोधी अभियान में शहीद होने वाले 21 राष्ट्रीय राइफल्स के दूसरे कमांडिग अफसर (सीओ) हैं।

सम्मानित सैन्य अफसर कश्मीर में कई सफल आतंकवाद विरोधी अभियानों का हिस्सा रह चुके थे। कर्नल शर्मा को याद करते हुए उनके बड़े भाई पीयूष ने कहा कि चाहे जितनी मुश्किलें आएं वह उस चीज को हासिल करता था जिसके लिये ठान लेता था। जयपुर में एक दवा कंपनी में काम करने वाले पीयूष ने कहा, 'उसके लिये इस पार या उस पार की बात होती थी। उसका एक मात्र सपना सेना में जाना था और कुछ नहीं।'

पीयूष ने फोन पर पीटीआई-भाषा को बताया कि वह किसी न किसी तरीके से सेना में शामिल होने के लिये भिड़ा रहता, जब तक कि 13वें प्रयास में उसे सफलता नहीं मिल गई। उस दिन के बाद से आशू (कर्नल शर्मा) ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। कर्नल शर्मा 2000 के शुरू में सेना में शामिल हुए थे। पीयूष ने अपने भाई के साथ एक मई को हुई बातचीत को याद करते हुए कहा, 'उस दिन राष्ट्रीय राइफल्स का स्थापना दिवस था और उसने हमें बताया कि उन लोगों ने कोविड-19 महामारी के बीच कैसे इसे मनाया। मैं उसे कई बार समझाता था और उसका एक ही रटा रटाया जवाब होता था- मुझे कुछ नहीं होगा भइया।' पीयूष कर्नल शर्मा से तीन साल बड़े हैं।

उन्होंने कहा कि कर्नल शर्मा ने कुछ तस्वीरें भेजी थीं और अब परिवार के पास यही उनकी आखिरी यादें हैं। पीयूष ने कहा, 'अगर मैं यह जानता कि यह उससे हो रही मेरी आखिरी बातचीत थी तो मैं कभी उस बातचीत को खत्म नहीं करता।' कर्नल शर्मा के दोस्त विजय कुमार ने कहा कि मैंने उन्हें कोई अन्य अर्धसैनिक बल चुनने की सलाह दी थी लेकिन वह कहता था कि तुम नहीं समझोगे। उसके लिये सिर्फ सेना और सेना ही सबकुछ थी, उसका जवाब हर बार सेना ही होता। कुमार अभी सीआईएसएफ में डिप्टी कमांडेंट हैं।

उन्होंने कहा, 'उसके तौर-तरीके हमेशा शानदार थे और जब वह बुलंदशहर में रहता था तो मैंने कभी किसी को उस पर चिल्लाते या उसकी शिकायत करते नहीं देखा।'

कक्षा छह में पढ़ने वाली कर्नल शर्मा की बेटी तमन्ना को पकड़े पीयूष ने कहा कि वह नहीं समझ सकती की रातों रात कैसे सबकुछ बदल जाता है। उन्होंने कहा कि लेकिन वह एक बहादुर पिता की बहादुर बेटी है और वह ठीक हो जाएगी। जवानों के लिये लगाव और उनकी समस्याओं के हल करने के उनके स्वाभाव को याद करते हुए पीयूष ने कहा, 'आशू को सिर्फ एक बात का दुख था कि वह स्पेशल फोर्सेज में शामिल नहीं हो सका।'

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर