कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का विवादित बयान, 'घुसपैठिए हैं पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह' [VIDEO]

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Updated Dec 01, 2019 | 17:07 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्हें घुसपैठिया करार दिया है।

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का विवादित बयान, 'घुसपैठिए हैं पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह'
Congress leader Adhir Ranjan Chaudhary  |  तस्वीर साभार: ANI

नई दिल्ली : नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) पर बोलते हुए लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह में निशाना साधा। उन्होंने कहा कि दोनों खुद घुसपैठिए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान सबके लिए है, ये हिंदुस्तान किसी की जागीर नहीं है। सबको समान अधिकार है। उन्होंने कहा कि अमित शाह जी, नरेंद्र मोदी जी खुद घुसपैठिए हैं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और शाह जी का घर गुजरात में है और वे दिल्ली आ गए हैं। वे खुद प्रवासी है। 

नागरिकता (संशोधन) विधेयक का विरोध करते हुए चौधरी ने कहा कि भारत सबके लिए है, हिंदुओं के लिए, मुसलमानों के लिए और बाकी सभी के लिए भी। वे यह डर पैदा कर रहे हैं कि वे मुसलमानों को निकाल देंगे। उनके पास ऐसा करने की क्षमता नहीं है। लेकिन वे जो दिखाना चाहते हैं कि हिंदुओं को ही यहां रहने के लिए मिलेगा। जबकि मुसलमानों को बाहर निकाल दिया जाएगा। 

यह पहली बार है जब चौधरी ने देश में अवैध अप्रवासियों को बाहर निकालने के लिए प्रस्तावित एक्सरसाइज के खिलाफ बात की है। अब तक एनआरसी की आखिरी लिस्ट केवल पूर्वोत्तर राज्य असम के लिए जारी हुई हैं, जिसमें 19 लाख से अधिक लोगों को शामिल नहीं किया गया है। जो निर्धारित तिथि तक अपेक्षित नागरिकता के कागजात का पेश नहीं कर सके। वे बाहर हो गए। असम के 19 लाख लोगों के बहिष्कार पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस नेता ने पहले कहा था कि सरकार को संसद में भी एनआरसी भी लागू करना चाहिए। केंद्र सरकार ने 31 अगस्त को लिस्ट जारी की थी।

एनआरसी एक रजिस्टर है जिसमें सभी वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम हैं। वर्तमान में, यह केवल असम में लागू किया गया है। एनआरसी पहली बार 1951 में तैयार किया गया था। केंद्र अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए इसे पूरे भारत लागू करना चाहता है। जब एनआरसी का मसौदा 30 जुलाई, 2018 को प्रकाशित हुआ, तो उसमें से 40.7 लाख लोगों को बाहर करने पर भारी विवाद हुआ था।

 


 

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