वैवाहिक बलात्कार पर HC में सुनवाई; राहुल गांधी ने कहा- सहमति हमारे समाज में सबसे कमतर आंकी गई अवधारणाओं में शामिल

Rahul Gandhi: वैवाहिक बलात्कार को अपराध मानने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई के बीच राहुल गांधी ने कहा है कि सहमति समाज में कमतर आंकी गई अवधारणाओं में से एक है।

rahul gandhi
राहुल गांधी 
मुख्य बातें
  • वैवाहिक बलात्कार को अपराध मानने संबंधी याचिकाओं पर दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई
  • केंद्र सरकार ने मामले में पूर्व में दाखिल अपने हलफनामे में कहा था कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता

दिल्ली हाई कोर्ट वैवाहिक बलात्कार को अपराध मानने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इस संदर्भ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को ट्वीट किया कि सहमति हमारे समाज में सबसे कम आंकी गई अवधारणाओं में से एक है और इसे महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सर्वोपरि होना चाहिए। 

उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि सहमति हमारे समाज में सबसे कम आंकी गई अवधारणाओं में से एक है। महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसे सर्वोपरि रखना चाहिए। #MaritalRape 

राहुल गांधी के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने लिखा कि एक महिला की सहमति को हल्के में नहीं लिया जा सकता। मेरे विचार से घरेलू हिंसा की परिभाषा को व्यापक बनाया जाना चाहिए। 

ये है केंद्र सरकार का रुख

जहां एक तरफ पुरुष द्वारा पत्नी पर जबरदस्ती यौन संबंध बनाने पर इसे अपराध मानने की मांग बढ़ रही है, वहीं केंद्र ने गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट को एक हलफनामा सौंपते हुए कहा कि आपराधिक कानून में प्रस्तावित संशोधनों के संबंध में एक परामर्श प्रक्रिया चल रही है। केंद्र ने अदालत को सूचित किया कि वैवाहिक बलात्कार को तब तक आपराधिक अपराध नहीं बनाया जा सकता जब तक कि सभी हितधारकों के साथ परामर्श पूरा नहीं हो जाता। सरकार ने जोर दिया कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के लिए सभी हितधारकों की बड़ी सुनवाई की आवश्यकता है।

इस बीच, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा है कि सर्वसम्मति बनाने की कवायद केंद्र द्वारा केवल 'देरी की रणनीति' है। मामले में पहले दायर एक हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि वैवाहिक बलात्कार को आपराधिक अपराध नहीं बनाया जा सकता क्योंकि यह विवाह की संस्था को अस्थिर कर सकता है और पतियों को परेशान करने का एक आसान साधन बन सकता है।

धारा 375 को चुनौती

दिल्ली हाई कोर्ट भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जो एक पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती संभोग को बलात्कार के अपराध से छूट देता है, बशर्ते पत्नी की उम्र 15 वर्ष से अधिक हो।
 याचिकाकर्ताओं में आरआईटी फाउंडेशन, ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेन एसोसिएशन (AIDWA) और वैवाहिक बलात्कार की पीड़िता शामिल हैं। आईपीसी की धारा 375 के तहत वैवाहिक बलात्कार को अपवाद माने जाने की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। यह उन विवाहित महिलाओं के साथ भेदभाव करती है, जिनका उनके पति यौन उत्पीड़न करते हैं।

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