नए साल में आक्रामक तेवर में नजर आएगी कांग्रेस, अब बेरोजगारी और निजीकरण पर करेगी हल्ला बोल 

देश
गौरव श्रीवास्तव
गौरव श्रीवास्तव | कॉरेस्पोंडेंट
Updated Dec 30, 2021 | 21:40 IST

कांग्रेस महंगाई के खिलाफ हुई रैली के बाद अब दूसरे चरण में पार्टी ने बेरोजगारी और सरकारी कम्पनियों के निजीकरण के मुद्दे पर हल्ला बोलने की तैयारी कर ली है।

Congress will be seen in aggressive attitude in new year 2022, Will now attack on unemployment and privatization issue
नए साल में नए तेवर में नजर आएगी कांग्रेस 

नए साल में कांग्रेस एक्शन मोड में नजर आएगी। अपनी स्थापना के बाद से अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार को बड़े मुद्दों पर घेरकर जनता के बीच पहुंचने की कवायद करेगी। साल 2021 की बात करें तो राहुल गांधी की अगुवाई में पार्टी ने महंगाई के मुद्दे को जोर शोर से उठाया। जयपुर में महंगाई के खिलाफ हुई रैली के बाद अब दूसरे चरण में पार्टी ने बेरोजगारी और सरकारी कम्पनियों के निजीकरण के मुद्दे पर हल्ला बोलने की तैयारी कर ली है।

क्या है कांग्रेस का प्लान 2022

कुछ समय पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आंदोलन और धरना प्रदर्शन समिति का गठन किया जिसकी जिम्मेदारी वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को दी गयी। अब ये समिति दिग्विजय सिंह के दिशा निर्देश में 2022 में सरकार को घेरने की रूप रेखा तैयार कर रही है। इस समिति में प्रियंका गांधी वाड्रा और रागिनी नायक समेत कुल नौ सदस्य हैं।

इसके तहत कांग्रेस देशभर में अपना पक्ष जन जन तक पहुंचाने के लिए बड़ा प्रशिक्षण अभियान शुरू कर चुकी है। पहले पार्टी प्रदेश स्तर से लेकर जिला और ब्लॉक स्तर तक करीब 5500 'ट्रेनर' को तैयार करेगी। ये ट्रेनर नुक्कड़, चाय की दुकानों और अन्य सार्वजनिक जगहों पर होने वाली बहस या चर्चा में पार्टी का पक्ष रखने वालों की फौज तैयार करेंगे।

ट्रेनिंग प्रोग्राम के इस चरण में पार्टी बेरोजगारी और सरकारी कम्पनियों के निजीकरण के मुद्दे पर मोदी सरकार को कैसे घेरना है ये बताएगी। इसके लिए ट्रेनिंग ले चुके सदस्यों को शिविर या वर्चुअल तरीके से एक दिन फिर ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद आने वाले नए साल में ये 'मास्टर ट्रेनर्स' देश भर में पार्टी का वो कैडर तैयार करेंगे। नए प्रवक्ताओं की ये फौज जगह-जगह कांग्रेस पार्टी का पक्ष, जनता से जुड़े मुद्दे और सरकार की नाकामयाबी को सामने रखेगी।

इससे पहले भी ये 'ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स' की ये मुहिम नवम्बर में वर्धा से शुरू की गयी थी। जहां 5 दिन का शिविर लगाया गया, पहले 4 दिन हर राज्य से 3 से 5 ट्रेनर्स को कांग्रेस के इतिहास की ट्रेनिंग दी गयी और 5वें दिन ज्वलन्त मुद्दों जैसे महंगाई पर पार्टी का रुख, जनता से सरोकार और मोदी सरकार की नाकामियों का पाठ पढ़ाया गया था।

पहले के चुनावों में 'जात न पात पर बटन दबेगा हाथ पर' का नारा बुलंद करने वाली कांग्रेस जातिगत समीकरण पर भी नजर गड़ाए हुए है। ऐसे में बेरोजगारी और सरकारी कम्पनियों के निजीकरण के साथ ही नौकरी में आरक्षण का मुद्दा भी उठाएगी। अपने इस अभियान में आम आदमी को ये भी समझाने की भी कोशिश करेगी कि अगर सरकारी कम्पनियों में निजीकरण बढ़ेगा तो नौकरियां कम होंगी और नौकरियां कम होंगी तो आरक्षण के तहत मिलने वाला कोटा भी।

देश के युवाओं तक बेरोजगारी का मुद्दा ले जाने के साथ ही कांग्रेस ये भी मैसेज देगी की जिन सरकारी कम्पनियों को बेचा जा रहा है उनकी स्थापना कांग्रेस के शासनकाल में हुई थी। साथ ही कोरोना के दौरान मोदी सरकार की नीतियों को आजादी से अब तक की सबसे बड़ी बेरोजगारी दर से जोड़कर दिखाया जाएगा।

2024 के चुनाव तक केंद्र सरकार को घेरेगी कांग्रेस

नए साल में 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी है वहीं ढाई साल बाद 2024 के आम चुनाव भी। ऐसे में बड़ी लड़ाई को देखते हुए कांग्रेस इस कार्यक्रम को 2024 तक जारी रखेगी। सूत्र बताते हैं कि इस अभियान को ज्यादा से ज्यादा प्रभावशाली बनाने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी शामिल किया जा रहा है। इसके अलावा जनता और मीडिया का ध्यान खींचने के लिए बैलगाड़ी और ट्रैक्टर यात्रा जैसे इवेंट भी किए जाएंगे। इस अभियान को लेकर कांग्रेस की गम्भीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राहुल गांधी ने वर्धा के शिविर को वर्चुअली सम्बोधित भी किया था।

नेहरू पटेल सम्बंधों को जनता को समझाएगी कांग्रेस

2014 के बाद से देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्बंध चर्चा के केंद्र में आ गए। भाजपा ने ये नैरेटिव बनाया कि नेहरू और पटेल के सम्बंध अच्छे नहीं थे और उसके बाद पटेल की राजनीतिक विरासत को लेकर भी लड़ाई छिड़ गई। वहीं सावरकर को लेकर राजनीतिक दलों के रुख को लेकर भी विवाद शुरू हुआ। ऐसे में आम जनमानस में पटेल-नेहरू विवाद से लेकर सावरकर से जुड़े तमाम ऐतिहासिक साक्ष्यों को भी जनता के बीच ले जाने की कांग्रेस तैयारी कर रही है। कांग्रेस को उम्मीद है कि इस सामाजिक विमर्श से वो मोदी सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को घेर पाएगी। इससे जुड़ी तमाम बातों को आम बोलचाल की भाषा में पर्चे पर छपवाकर लोगों में बांटा जाएगा। इस मुहिम के लिए पार्टी के बुद्धजीवी नेताओं के साथ ही स्वतंत्र विचारकों और राम पुन्नानी, आदित्य मुखर्जी जैसे इतिहासकारों का सहारा लिया जाएगा।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर