जोधपुर: उम्रकैद की सजा काट रहे एक शख्स को राजस्थान हाईकोर्ट ने जेल से घर जाने के लिए 15 दिन की पैरोल दे दी है। कैदी अभी अजमेर की जेल में बंद है। दरअसल कैदी की पत्नी ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर अपने पति के लिए पैरोल मांगी थी और इसके लिए उसने संतान उत्पत्ति का हवाला दिया था। महिला ने पहले अपनी अर्जी कलेक्टर के पास दी थी, जब सुनवाई नहीं हुई तो फिर उनसे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने महिला याचिका को स्वीकार करते हुए 15 दिन की पैरोल मंजूर कर ली।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इस बात का संज्ञान लेते हुए कि एक पत्नी की शादीशुदा जिंदगी से संबंधित यौन और भावनात्मक जरूरतों की रक्षा होनी चाहिए, आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक व्यक्ति को 15 दिन की पैरोल दी है ताकि वह एक बच्चे का पिता बन सके। जस्टिस फरजंद अली और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और सामाजिक मानवीय पक्षों तथा एक दंपती को संतान होने के अधिकार का हवाला देते हुए नंद लाल नामक व्यक्ति को पैरोल की अनुमति दी।
पिता नहीं बन पाने की ये हो सकती हैं तीन बड़ी वजह, ऐसे दूर करें परेशानी
नंदलाल को एडीजे कोर्ट, भीलवाड़ा ने 2019 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। महिला ने अपनी याचिका में कहा था कि उसकी कोई संतान नहीं है और इसलिए उसके पति को 15 दिन की पैरोल दी जाए। अदालत ने कहा कि बच्चा जन्म के लिए बंदी की पत्नी द्वारा दायर याचिका पर, राजस्थान पैरोल नियमावली 2021 के तहत बंदी को पैरोल पर छोड़ने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन 'पत्नी की शादीशुदा जिंदगी से संबंधित यौन और भावनात्मक जरूरतों की रक्षा' के लिए बंदी को उसके साथ रहने की इजाजत दी जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि अगर हम मामले को धार्मिक पहलू से देखें तो हिंदू दर्शन के अनुसार गर्भधान यानी गर्भ का धन प्राप्त करना 16 संस्कारों में से पहला है।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।