कोरोना की 'कालिमा' ने बदल दी जिंदगी, थम गई रफ्तार 

बाद में प्रवासी मजदूरों को उनके गृह जिले तक पहुंचाने के लिए राज्यों ने केंद्र के साथ मिलकर बसें एवं रेल चलवाईं। कोरोना के प्रहार ने अर्थव्यवस्था की नीव हिला दी।

Corona crisis in India, Lockdown changed everything
कोरोना की 'कालिमा' ने बदल दी जिंदगी।  |  तस्वीर साभार: PTI

चीन से चला कोरोना का वायरस 2020 की शुरुआत में भारत में दस्तक दे दिया। फरवरी महीने से भारत में भी केस मिलने लगे। चीन के बाद कोरोना का भीषण प्रकोप इटली और ईरान में देखने को मिला। यूरोप के देशों में कोरोना महामारी के तेजी से पैर पसारता देख भारत सरकार भी सक्रिय हुई। सबसे पहले इसने अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्टों पर विदेश से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग करनी और शुरू की। बावजूद इसके कोरोना ने देश में दस्तक दे दिया। 

मार्च के मध्य महीने में निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम पर सवाल उठे। यहां देश-विदेश से आए बड़ी संख्या में लोग कोरोना संक्रमित मिले। मार्च महीने से देश में कोरोना से संक्रमण की रफ्तार तेज होने लगी। 

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कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में लॉकडाउन की घोषणा की। देश में लॉकडाउन 25 मार्च से लागू हुआ। लाकडॉउन का प्रथम चरण 21 दिनों तक था। दूसरा चरण 19 दिनों का 15 अप्रैल से 3 मई तक, तीसरा चरण 14 दिनों तक 4 मई से 17 मई तक और चौथा चरण 14 दिनों का 18 मई से 31 मई तक लागू रहा। 

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लॉकडाउन के प्रथम दो चरण बेहद कठिन थे। इस दौरान जिंदगी की रफ्तार थम सी गई। जरूरी सेवाओं को छोड़कर सब पर तालाबंदी हो गई। कंपनियां, व्यापारिक प्रतिष्ठान, स्कूल, कॉलेज, बाजार, मॉल, खेल, समारोह, यात्रा सभी पर कोरोना की मार पड़ी। देश भर के अलग-अलग हिस्सों से करोड़ों प्रवासी अपने गृह राज्य के लिए पैदल निकल पड़े। 

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बाद में प्रवासी मजदूरों को उनके गृह जिले तक पहुंचाने के लिए राज्यों ने केंद्र के साथ मिलकर बसें एवं रेल चलवाईं। कोरोना के प्रहार ने अर्थव्यवस्था की नीव हिला दी। अर्थव्यवस्था को कोरोना के संकट से उबारने के लिए पीएम मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपए का भारी भरकम पैकेज का ऐलान किया। 

लॉकडाउन के प्रथम दो चरणों में सार्वजनिक गतिविधियां कम होने से सरकार और राज्य सरकारों को कोरोना के खिलाफ अपनी लड़ाई की तैयारी के लिए समय मिल गया। इस दौरान सरकारों ने अपनी कोविड-अस्पतालों, मास्क, सेनिटाइजर और चिकित्सा व्यवस्था एवं संरचना की तैयारी की। 

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कोरोना से बचने के लिए क्या करें और क्या न करें, लोगों को बताया गया। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में लॉकडाउन सही समय पर लागू हुआ। यदि यह समय पर नहीं लागू हुआ होता तो कोरोना से लड़ाई और मुश्किल हो जाती।   

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लोगों के जीवन एवं अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए एक जून से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई। अनलॉक 1.0 (30 दिन) एक जून से लेकर 30 जून तक, अनलॉक 2.0-एक जुलाई से 31 जुलाई तक, अनलॉक 3.0- एक अगस्त से 31 अगस्त तक, अनलॉक 4.0-एक सितंबर से 30 सितंबर तक, अनलॉक 5.0-एक अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक, अनलॉक 6.0- एक नवंबर से 30 नवंबर तक, अनलॉक 7.0 -एक दिसंबर से 31 दिसंबर तक।

Corona Crisisकोविड-19 संकट के चलते देश को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। इस महामारी से 10 दिसंबर तक देश में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़कर 97,67,371 हो गई। जबकि इस महामारी से 10 दिसंबर तक 1,41,772 लोगों की जान जा चुकी है। 

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सरकार के प्रयासों एवं लोगों की जागरूकता से कोरोना संक्रमण एवं इससे होने वाली मौतों पर दिसंबर महीने से नियंत्रण पाया गया। देश में कोरोना के टीके अपने परीक्षण के अंतिम दौर में हैं। तीन दवा कंपनियों भारत बॉयोटेक, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और फाइजर ने अपने कोविड टीकों का आपात इस्तेमाल करने की अनुमति सरकार से मांगी है।   

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