नई दिल्ली। आज पूरी दुनिया में हर कोई शख्स चाहे वो ताकतवर हो या कमजोर सिर्फ कोरोना वायरस की बात कर रहा है। ऐसा हो भी क्यों नहीं, दरअसल कोरोना संक्रमण से पूरी दुनिया में 29 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं और 2 लाख लोग जान गंवा चुके हैं। अफ्रीका का विकाशसील देश हो या अमेरिका और चीन जैसा शक्तिशाली देश या यूरोप के शांत मुल्क हर कोई अशांत है। वो अनदेखा वायरस एक एक कर हर दिन नई चुनौती पेश कर रहा हैं औक विश्व को एक अदद वैक्सीन का इंतजार है। लेकिन इन सबके बीच एक बड़ा सवाल है क्या इसे रोका जा सकता था। यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है कि चीन ने अगर समय रहते जानकारी दी होती है तो कोरोना की काली चादर की छाया से लोग महफूज रहते।
चीन ने उस सच को छिपा लिया
चीन ने दुनिया को तब आगाह किया जब उसे लगने लगा कि अब वो उस झूठ को ज्यादा समय तक छिपा कर नहीं रख सकता। चीन ने कोविड 19 को पहले सामान्य न्यूमोनिया बताया था जिसपर विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से भी मुहर लगा दी गई थी। लेकिन चीन में और खासतौर से वुहान में मामले तेजी से बढ़ने लगे तो चीन के साथ साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी कहना पड़ा कि लोग सामान्य न्यूमोनिया का सामना नहीं कर रहे हैं, बल्कि ये तो संक्रामक रोग है जिसे कोरोना वायरस का आक्रमण बताया गया। अब कहानी इससे आगे जाती है जिसे जानना और समझना जरूरी है।
गौर करने वाली है यह बात
अंतरराष्ट्रीय मीडिया की एक बात पर गौर करने लायक है। 30 दिसंबर की मध्यरात्रि से कुछ दिन आगे ब्लूडॉट ने चीन के वुहान शहर में न्यूमोनिया के असाधारण मामले देखे थे। न्यूमोनिया के इन्हीं असाधारण मामलों को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविन 19 के नाम से पुकारा। यहां बता दें कि 30 दिसंबक 2019 के तुरंत बाद कोविड 19 का फैलाव दुनिया के 58 मुल्कों में हुआ जिसकी चपेट में 87 हजार लोग आ चुके थे और 104 वो मौतें हुईं जिसका चीन से लेना देना नहीं था। 25 फरवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन के डीजी टेड्रास अधनॉम ने कहा कि कोविड 19 अब अंतरराष्ट्रीय महामारी का रुप धारण कर चुका है। इसका अर्थ ये था कि चीन और 58 देशों के अलावा दूसरे मुल्क भी इस खतरे की जद में आने वाले थे।
ऐहतियात ही सबसे बड़ा उपाय
ब्लूडॉट के सीईओ की बातों पर अगर गौर फरमाएं तो वो कहते हैं कि इस तरह की बीमारी के बारे में यह कह पाना आसान नहीं होता है कि वो कब विकराल रूप धारण कर लेगी। लेकिन जब इस तरह के हालात बनने शुरू होते हैं को हमें जानकारी और उसके प्रचार प्रसार पर आक्रामक तरीके से आगे बढ़ना चाहिये। कोरोना वायरस संक्रमण के देखें तो चीन के वुहान से एक बात साफ गई कि यह संक्रमण अब लोगों से लोगों के बीच में फैल रहा है और वही उपयुक्त समय था जब चीन जाने वाली या वहां से आने वाली उड़ानों पर लगाम लगा होता।
WHO से भी हुई देरी
अगर ब्लूडॉट के इन बयानों का विश्लेषण करें तो यह भले न कहा जाए कि कोरोना वायरस के लिए ठोस रूप से कौन जिम्मेदार है। लेकिन यह तो कहा ही जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से जो कदन उठाने चाहिए थे, वो नहीं उठाए गए। अगर डब्ल्यूएचओ की तरफ से समय पर दुनिया को आगाह किया गया होता तो चीन आने जाने वाली उड़ानों पर पाबंदी लगी होती और इस वायरस से दुनिया के ज्यादातर मुल्क अछूते रहे हो। लेकिन आज की तस्वीर यह है अमेरिका, इटली, स्पेन, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ कई और विकसित देश कराह रहे हैं।
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