नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण की बेलगाम रफ्तार डरा रही है। लेकिन दूसरी तरफ संक्रमण से ठीक होने वालों की संख्या और मृत्यु दर में आ रही कमी से उम्मीद भी जगती है, हालांकि कोरोना मारक वैक्सीन जब तक न आ जाए ऐहतियाक ही उपाय है। इन सबके बीच स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कोरोना टेस्टिंग के संबंध में जानकारी दी गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि अगर टेस्टिंग की संख्या और बढ़ी तो निश्चित तौर पर कोरोना से होने वाली दुश्वारियों को रोकने में मदद मिलेगी।
देश में अब हर रोज 12 लाख टेस्ट
भारत की परीक्षण क्षमता 12 लाख दैनिक परीक्षण से अधिक हो गई है। पूरे देश में 6.5 करोड़ से अधिक परीक्षण किए गए हैं। उच्च परीक्षण सकारात्मक मामलों की प्रारंभिक पहचान की ओर जाता है। जैसा कि सबूतों से पता चला है, अंततः सकारात्मकता दर में गिरावट आएगी।जैसा कि भारत बहुत उच्च परीक्षण की लहर की सवारी करता है, कई राज्यों / संघ शासित प्रदेशों ने बेहतर प्रदर्शन किया है।प्रति मिलियन (टीपीएम) प्रति उच्च परीक्षण और राष्ट्रीय औसत की तुलना में कम सकारात्मकता दर होगी। इसका अर्थ यह है कि अगर ज्यादा से ज्यादा टेस्ट होंगे तो उससे कोरोना के खिलाफ लड़ाई प्रभावी होगी।
लोगों का सहयोग जरूरी
अगर कोरोना के फैलाव को देखें तो अलग अलग समय पर अलग अलग जगहों में केस बढ़ रहे हैं। कुछ जानकारों का कहना है कि जहां भी प्रशासन या लोगों की तरफ से ढिलाई हो रही है कोरोना तेजी से फैल रहा है। यह बात सच है कि कोरोना का प्रभावी सामना वैक्सीन के जरिए ही किया जा सकता है। लेकिन वैक्सीन ना मिलने की सूरत में ऐहतियात सबसे अधिक जरूरी है। सरकार अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकती है। लेकिन आम लोगों को भी समझना होगा कि कोरोना के खिलाफ किसी भी तरह की मुहिम उनके सहयोग के बगैर मुमकिन भी नहीं है।
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