नई दिल्ली : भारत में कोरोना वायरस के कारण कोविड-19 नामक महामारी फैली हुई है जिससे बड़ी आबादी इससे संक्रमित हो रही है और कई लोगों की आए दिन मौत हो रही है। अब तक भारत में कोरोना संक्रमण के कुल 1960 से भी ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं जबकि इससे अब तक 50 लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमित मरीजों और मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है जिसके साथ-साथ लोगों में दहशत भी उतनी ही फैल रही है। आज यहां जानेंगे इससे भारत में किस तरह का महामारियों ने अपना प्रकोप फैलाया और भारत ने इनसे लड़कर किस तरह कामयाबी हासिल की।
कोरोना वायरस को लेकर लोगों में दहशत इसलिए फैल रही है क्योंकि यह तेज गति से लोगों के बीच संक्रमण फैलाता है। यह एक बार में 3 से ज्यादा लोगों को संक्रमित करता है। आज तक जितने भी महामारियां या वायरस फैले हैं वे इतनी तेजी से नहीं फैले हैं और कोरोना वायरस में यही फर्क है कि यह तेजी से लोगों के बीच फैलता है।
सबसे पहले जानते हैं महामारी क्या होता है-
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्नगाइजेशन (WHO) के मुताबिक एक बड़े समुदाय या बड़े क्षेत्र में किसी बीमारी या हेल्थ संबंधी किसी खास तरह का बिहेवियर लोगों में दिखता है तो उसे महामारी कहते हैं।
एंसेफ्लाइटिस
यह महामारी पूरी दुनिया में 1915 से लेकर 1926 तक फैला। इसमें इंसान पूरी तरह से आलसी और ढीला हो जाता है उस् किसी बात का किसी फीलिंग का कोई फर्क नहीं पड़ता। दूसरों के प्रति उदासीनता का भाव बढ़ जाता है। यह बीमारी यूरोप, अमेरिका, कनाडा, अमेरिका औक कनाडा में फैला था। यह बीमारी इंसानों के नर्वस सिस्टम पर अटैक करना शुरू करता है। 1.5 मिलियन लोग इससे मर गए थे। इसके लिए टीकाकरण किया गया था।
स्पैनिश फ्लू
यह 1918 से 1920 के बीच फैला था। यह भी एक वायरल संक्रमण वाली बीमारी थी जो काफी खतरनाक था। पहले वर्ल्ड वॉर के दौरान ये महामारी शुरू हुई थी। इसमें पूरी दुनिया में 0 मिलियन लोगों की मौत हुई थी जबकि केवल भारत में इससे 5 से 10 मिलियन लोगों की मौत हुई थी। ये वायरस वर्ल्ड वॉर में लड़ने गए सैनिकों के द्वारा लाया गया था। इसमें भी सोशल डिस्टेंसिंग की बात की गई थी।
कॉलरा महामारी (हैजा)
1961 से लेकर 1975 तक ये महामारी फैली थी। ये इंडोनेशिया से शुरू हुआ था और 5 साल अंदर ही यह पुरी दुनिया में फैल गया। कोलकाता के हिस्से में सैनिटेशन को लेकर काफी समस्या थी जिस कारण ऐसी जगहों में ये आसानी से फैलता चला गया और फिर वहां से इसका बैक्टीरिया पूरे देश में फैला। इससे छुटकारा पाने के लिए देश में बड़े स्तर पर जागरुकता फैलाई गई और सफाई के प्रति लोगों को जागरुक किया गया। इसका टीका भी लगाया गया।
चेचक महामारी
WH0 के मुताबिक 1980 में सबसे पहले इसकी शुरुआत हुई हालांकि इसके बारे में अभी तक कोई पुष्टि नहीं की गई है। भारत मार्च 1977 में स्मॉलपॉक्स से मुक्त हो चुका है। चेचक और पोलियो जैसी महामारियों से लड़ने में भारत ने दुनिया को राह दिखाई थी। भारत ने जन स्वास्थ्य पर ध्यान दिया। युद्धस्तर पर सर्विलांस के जरिए लोगों को ढूंढ़ा। उनकी पड़ताल की और उनका टीकाकरण किया। भारत के इस मुहिम की दुनियाभर में तारीफ हुई।
प्लेग
ये 1994 में भारत के सूरत से फैला। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग वहां से पलायन कर गए थे। अफवाहों के कारण लोग बड़ी मात्रा में राशन घर में जमा करके रखने लगे थे। एक सप्ताह के अंदर करीब 50 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें भी सैनिटेशन पर ध्यान दिया गया। कूड़ेदानों को मैनेज किया गया गया नालियों को कवर किया गया मरे हुए चूहों और जानवरों को सही ठिकाने लगाया गया जिससे इस पर काबू पाया गया।
SARS
सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिस्टम। ये कोविड-19 से मिलती जुलती बीमारी है। ये भी चीन के फोशान से फैला था। 2003 अप्रैल में भारत में ये बीमारी फैली थी। इसमें भी सारे लक्षण कोरोना वायरस के जैसे ही थे। भारत में वैसे इसका ज्यादा असर नहीं पड़ा लेकिन दुनिया के 30 देश इसकी चपेट में आ गए थे।
स्वाइन फ्लू
2014 के अंतिम महीनों में स्वाइन फ्लू के केसेस भारत में पाए गए। गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र और तेलंगाना में इसके वायरस सबसे ज्यादा पाए गए। मार्च 2015 तक इसके करीब 33,000 केसेस सामने आए और 2,000 लोगों की इससे मौत हो गई।
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