Coivd-19: कोविशील्ड, कोवैक्सीन, स्पुतनिक-V, कैसे अलग हैं तीनों वैक्सीन? जानिए इनके बारे में सब कुछ

Difference among covishield, covaxin, sputnik V: कोविशील्ड वैक्सीन का विकास ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर किया है। यही वजह है कि इस वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन भी कहा जाता है।

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Coivd-19: कोविशील्ड, कोवैक्सीन, स्पुतनिक-V, कैसे अलग हैं तीनों वैक्सीन?  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • रूस की एजेंसी आरडीआईएफ के अनुसार, स्‍पूतनिक 91.6 फीसदी कारगर है
  • भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का इस्‍तेमाल 4 फेज के ट्रायल में ही शुरू हो गया था
  • सीरम इंस्‍टीट्यूट की कोविशील्ड वैक्‍सीन की एफीकेसी 62% दर्ज की गई थी

नई दिल्ली : कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया की पहली रजिस्टर्ड वैक्सीन स्पुतनिक-वी को भारत में मंजूरी मिल गई है। देश में बढ़ते कोरोना वायरस केस को देखते हुए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने रूस निर्मित इस वैक्सीन के आपात उपयोग की अनुमति दी है। रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) ने इसकी जानकारी दी है। भारत में आपात इस्तेमाल के लिए अनुमति पाने वाली स्पुतनिक तीसरी वैक्सीन है।

स्पुतनिक-V के आने से तेज होगा टीकाकरण अभियान
भारत में अभी तक कोविड टीकाकरण के लिए कोविशील्ड और कोवैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। अब स्पुतनिक-V के इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के बाद इन दो वैक्सीन पर निर्भरता कम होने के साथ ही टीकाकरण अभियान में तेजी आएगी। भारत स्पुतनिक-V वैक्सीन को मंजूरी देने वाला दुनिया का 60वां देश है। आइए भारत में इस्तेमाल होने वाली इन तीन वैक्सीनों की खासियत, अंतर और समानता पर एक नजर डालते हैं।

किस कंपनी ने बनाई है वैक्सीन
भारत में जिस तीसरी कोरोना वायरस वैक्सीन स्पुतनिक-V को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने आपात उपयोगी के लिए मंजूरी दी है इसके नाम दुनिया की पहली कोविड-19 वैक्सीन होने का रिकॉर्ड दर्ज है। स्पुतनिक V वैक्सीन का निर्माण रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) की मदद से किया गया है। शुरुआत में इस वैक्सीन को आयात किया जाएगा लेकिन बाद में हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डी लैब में इसका उत्पादन किया जाएगा। स्पुतनिक V के अलावा भारत में दी जा रही अन्य दो वैक्सीन का निर्माण देश में ही हो रहा है। 

सीआईआई ने बनाई है विशील्ड वैक्सीन 
इनमें कोविशील्ड वैक्सीन को पुणे स्थित दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रही है। कोविशील्ड वैक्सीन का विकास ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर किया है। यही वजह है कि इस वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन भी कहा जाता है। भारत में एक और वैक्सीन इस्तेमाल हो रही है जिसका नाम कोवैक्सीन है। कोवैक्सीन का निर्माण हैदराबाद स्थित भारत बॉयोटेक कर रही है। इस वैक्सीन का विकास भारत बॉयोटेक ने आईसीएमआई के साथ मिलकर किया है।

किस वैक्सीन की क्या है कीमत
अभी तक सरकारी अस्पताल में कोविड टीकाकरण निशुल्क किया जा रहा है लेकिन प्राइवेट अस्पताल में टीकाकरण के लिए सरकार ने 250 कीमत तय की है। स्पूतनिक-V की कीमत 10 डॉलर के आस-पास बताई जा रही है। यानी भारतीय करेंसी में इसकी कीमत 750 रुपये से कुछ कम होगी।

वैक्सीन के दोनों डोज में अंतर
कोविशील्ड की दो डोज में 12 हफ्ते का अंतर रखा गया है वहीं दूसरे टीके कोवैक्सीन की दो डोज में 4 से 8 हफ्ते का अंतर रखा गया है। अब तीसरी वैक्सीन स्पुतनिक-वी के लिए भारत में क्या अंतर रखा जाएगा इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है।

स्टोरेज और एक्सपायरी
तीनों वैक्सीन को 2-8 डिग्री तापमान पर स्‍टोर कर सकते हैं।

कोवैक्सीन और कोविशील्ड पर डॉक्टर की राय
कोवैक्सीन और कोविशील्ड टीकों पर मसीना अस्पताल के कंसलटेंट चेस्ट फिजिशियन डॉक्टर संकेत जैन का कहना है कि ये दोनों टीके देश में बने हैं। पारंपरिक तरीके से निर्मित टीके आधुनिक तरीके से तैयार वैक्सीन की तुलना में ज्यादा सुरक्षित माने जाते हैं। पारंपरिक तरके से तेयार टीकों में साइड इफेक्ट का खतरा कम होता है। क्लिनिकल ट्रायल्स में भी भारतीय वैक्सीन का प्रभाव बेहतर रहा है। कोवैक्सीन और कोविशील्ड वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी बनाने का काम करती हैं। भविष्य में जब किसी वायरस से सामना होगा तो वैक्सीन शरीर को सुरक्षात्मक कवच बनाने के लिए अलर्ट कर देंगी।  

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