मुंबई। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के नजदीकी सहयोगी गैंगस्टर फहीम मचमच की कोविड-19 से पाकिस्तान के कराची में मौत हो गई है। मुंबई पुलिस के सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी।पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार देर रात को कराची के एक निजी अस्पताल में 51 वर्षीय मचमच की मौत हो गई। फहीम अहमद शरीफ उर्फ मचमच हत्या, हत्या के प्रयास, उगाही और अन्य आपराधिक वारदातों में मुंबई तथा अन्य शहरों में वांछित था।
भिंडी बाजार का था फहीम
पुलिस के अनुसार वह दक्षिण मुंबई के भिंडी बजार इलाके के पेरू लेन का रहने वाला था और अपराध की सीढ़ियां चढ़ते-चढ़ते दाऊद इब्राहिम और उसके दाहिने हाथ छोटा शकील का नजदीकी सहयोगी बन गया था। माना जा रहा था कि मचमच पिछले सात साल से दाऊद के साथ पाकिस्तान में रह रहा था।
सूत्रों ने कहा कि फहीम, जिसका परिवार दक्षिण मुंबई में रहता है, का अंतिम संस्कार शुक्रवार शाम एक स्थानीय कब्रिस्तान में किया गया, जिसमें मुट्ठी भर लोग मौजूद थे।दक्षिण मुंबई के भिंडी बाजार इलाके में पेरू लेन का रहने वाला एक मामूली गुंडा फहीम अपने जबरन वसूली रैकेट के माध्यम से तेजी से अंडरवल्र्ड की दुनिया में अपना नाम बढ़ाता गया। वह तथाकथित डी-कंपनी के हिस्से के रूप में काम कर रहा था, जो कि एक अपराध सिंडिकेट है, जिसका संचालन फरार माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम कास्कर करता है, जो अब कराची में स्थित है।
रफीक भाई उपनाम था, बॉलीवुड में खास दखल
संयुक्त अरब अमीरात में रहने वाले एक पूर्व सहयोगी ने कहा, एक समय था जब वह रफीकभाई के उपनाम का इस्तेमाल करते हुए बॉलीवुड की विभिन्न हस्तियों को फोन करता था, जिससे उनके लक्षित पीड़ितों के दिलों में आतंक पैदा हो जाता था, जो उनकी मांगों का तुरंत पालन करते थे।एक माध्यमिक स्कूल बीच में ही छोड़ने वाला, फहीम जल्द ही छोटा शकील का करीबी विश्वासपात्र बन गया, जिसे दाऊद का दाहिना हाथ माना जाता है।
जमानत मिलने के बाद भागा था दुबई
फहीम को मुंबई पुलिस ने 1995 में जबरन वसूली, जान से मारने की धमकी आदि के विभिन्न गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किया था, लेकिन वह एक अदालत से जमानत हासिल करने में सफल रहा।उस वर्ष दुबई भागने की कोशिश करते हुए उसे फिर से मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से पकड़ा गया था, लेकिन पुलिस की आपत्तियों के बावजूद, फहीम को फिर से जमानत मिल गई।अपनी दूसरी जमानत का सर्वोत्तम लाभ उठाते हुए, फहीम दुबई भाग गया और तब से उसका नाम आतंक सहित कई अवैध गतिविधियों में शामिल हो गया है, लेकिन वह किसी तरह दो दशकों से अधिक समय तक मुंबई पुलिस के चंगुल से बाहर रहने में कामयाब रहा था।
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