दुनिया भर के कई शहरों में हवा जहरीली हो चुकी है। दुनियाभर की प्रदूषित शहरों में भारत की राजधानी दिल्ली नंबर एक स्थान पर है। दूसरे नंबर पर कोलकाता और तीसरे नंबर पर नाईजीरियाई शहर कानो है। यानि दिल्ली और कोलकाता कानो से भी प्रदूषण के मामले में खराब शहर हैं।
अमेरिका स्थित शोध संगठन हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (एचईआइ) की रिपोर्ट में ये बातें सामने आई हैं। एयर क्वालिटी एंड हेल्थ इन सिटीज नाम की इस रिपोर्ट में 7000 शहरों को शामिल किया गया था। इस रिपोर्ट में दो प्रमुख वायु प्रदूषकों के आधार पर शहरों की रैंकिंग की गई है- फाइन पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) के आधार पर।
पीएम 2.5 से संबंधित बीमारी से सबसे अधिक मौतें बीजिंग में हुई है। जहां प्रति एक लाख पर 124 मौतों का कारण पीएम 2.5 है। वहीं दिल्ली इस मामले में छठे नंबर पर है, जहां प्रति एक लाख में 106 मौतें हुईं हैं। इसके अलावा कोलकाता 99 मौतों के साथ तीसरे स्थान पर है।
दुनिया भर में बड़ी संख्या में वैश्विक शहरों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के PM 2.5 और NO2 दोनों के मानदंडों को पार कर लिया है। रिपोर्ट में 2019 में दिल्ली का औसत पीएम 2.5, 110 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पाया गया है। इस मामले में WHO का मानक 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। इस हिसाब से दिल्ली का पीएम 2.5, 22 गुना ज्यादा था। कोलकाता में यह 84 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था।
2019 में NO2 एक्सपोजर के मामले में शीर्ष 20 में कोई भारतीय शहर नहीं था। शंघाई, मॉस्को और तेहरान इस सूची में शीर्ष तीन शहरों में शामिल हैं। शंघाई में औसत NO2 एक्सपोजर 41.6 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था। NO2 एक्सपोजर के लिए WHO का मानक 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में वायु प्रदूषण से लगभग 2.6 बिलियन लोग प्रभावित हुए थे। रिपोर्ट के अनुसार 2019 में दिल्ली में 29900 मौतों के लिए पीएम 2.5 को जिम्मेदार ठहराया गया था। वहीं कोलकाता में 21380 और मुंबई में 16,020 मौतें हुईं थी। इसकी तुलना में, बीजिंग में पीएम 2.5 एक्सपोजर के कारण 26,270 मौतें देखीं गईं थीं।
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