नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के पुनर्निर्धारण के लिए गठित परिसीमन आयोग ने जम्मू क्षेत्र के लिए छह और कश्मीर घाटी के लिए एक अतिरिक्त सीटों का प्रस्ताव किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए नौ और अनुसूचित जाति (SC) के लिए सात सीटों का प्रस्ताव किया गया है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह पहली बार है जब एसटी वर्ग के तहत जम्मू-कश्मीर में सीटों का प्रस्ताव किया गया है।
दिल्ली में आयोग की बैठक आयोजित की गई थी और इसमें पांच सहयोगी सदस्यों- जम्मू और कश्मीर के पांच लोकसभा सदस्यों ने भाग लिया था। उन्हें इस महीने के अंत तक प्रस्ताव पर जवाब देने को कहा गया है। बैठक में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला के साथ पार्टी नेता मोहम्मद अकबर लोन और हसनैन मसूदी और भाजपा के जुगल किशोर शर्मा ने हिस्सा लिया। महबूबा मुफ्ती की पार्टी PDP आज भी परिसीमन आयोग की बैठक से दूर रही। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को इस बैठक को लेकर बयान भी दिया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें परिसीमन आयोग पर भरोसा नहीं है। महबूबा मुफ्ती ने आरोप भी लगाया कि ये सारा काम बीजेपी के एजेंडे पर हो रहा है, लेकिन आज बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने बताया कि आयोग ने बेहतरीन काम किया है। आयोग एक दस्तावेज लेकर आया है जो निष्पक्ष रूप से तैयार किया गया है। सभी संबद्ध सदस्यों ने दलों की परवाह किए बिना परिसीमन आयोग द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की। आयोग द्वारा पालन किए गए मापदंडों से नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्य भी संतुष्ट हैं।
परिसीमन आयोग की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई कर रही हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा पैनल के पदेन सदस्य हैं। इससे पहले लोकसभा में गृह राज्य मंत्री (MoS) नित्यानंद राय ने बताया कि जम्मू और कश्मीर में निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के राज्य चुनाव आयुक्त, मुख्य सचिव, भारत के महापंजीयक, भारत के महासर्वेक्षक, सभी 20 जिलों के जिला चुनाव अधिकारियों जैसे विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श किया है।
उमर अब्दुल्ला ने उठाए सवाल
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा कि जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग की मसौदा सिफारिश अस्वीकार्य है। नव निर्मित विधानसभा क्षेत्रों का वितरण जिसमें 6 जम्मू और केवल 1 कश्मीर में जा रहे हैं, 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार उचित नहीं है। यह बेहद निराशाजनक है कि ऐसा लगता है कि आयोग ने भाजपा के राजनीतिक एजेंडे को अपनी सिफारिशों को तय करने की अनुमति दी है, न कि आंकड़ों पर, जिस पर केवल विचार किया जाना चाहिए था। वादा किए गए 'वैज्ञानिक दृष्टिकोण' के विपरीत यह एक राजनीतिक दृष्टिकोण है।
परिसीमन क्या है?
जम्मू-कश्मीर विधानसभा का गणित
नया प्रस्ताव लागू होता है तो जम्मू क्षेत्र में 43 और कश्मीर में 47 विधानसभा सीटें हो जाएंगी।
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