नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के 14 राजनीतिक दलों को बैठक के लिए बुलाया है। गुपकार अलायंस के नेताओं सहित अन्य राजनीतिक दलों के साथ पीएम मोदी की यह बैठक गुरुवार को होनी है। इस बैठक की खबर आने के बाद जम्मू-कश्मीर को लेकर चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है। बुलाई गई बैठक को लेकर कई तरह की बातें की जा रही हैं। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव, परिसीमन एवं जम्मू को अलग राज्य बनाए जाने की अटकलें चल रही हैं। हालांकि, इस बारे में अभी कुछ भी साफ नहीं है।
परिसीमन आयोग की आज बैठक
सभी की नजरें इस बैठक पर टिकी हैं। जानकारों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर को लेकर सरकार कोई बड़ा फैसला कर सकती है। आज परिसीमन आयोग की बैठक भी होने वाली है। जम्म-कश्मीर को लेकर जो बातें चल रही हैं उनमें परिसीमन का मुद्दा प्रमुख है। आइए जानते हैं कि परिसीमन है क्या और जम्मू-कश्मीर में इसके लागू होने से क्या असर हो सकता है।
क्या है परिसीमन (Delimitation)
आबादी का सही प्रतिनिधित्व करने के लिए लोकसभा अथवा विधानसभा की सीटों के क्षेत्र को दोबारा से परिभाषित किया जाता है। क्षेत्र तय करने की प्रक्रिया परिसीमन आयोग करता है। इस आयोग के फैसले को किसी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती। खासकर क्षेत्र का परिसीमन पिछले जनसंख्या के आंकड़े को आधार बनाकर किया जाता है। निर्वाचन क्षेत्र की चौहद्दी नए सिर से तय करने में लोकसभा या विधानसभा की सीटों की संख्या में बदलाव हो जाया करता है।
जम्मू-कश्मीर में कब हुआ परिसीमन
जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष राज्य के दर्ज के चलते यहां परिसीमन दूसरे राज्यों से थोड़ा अलग है। पांच अगस्त 2019 से पहले राज्य की लोकसभा सीटों के लिए परिसीमन भारत सरकार के संविधान के अनुरूप होता आया है लेकिन विधानसभा सीटों के लिए परिसीमन जम्मू-कश्मीर के संविधान एवं जम्मू एंड कश्मीर रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल एक्ट, 1957 के अनुरूप होता आया है। राज्य में विधानसभा की सीटों पर परिसीमन 1963, 1973 और 1995 में हुआ।
परिसीमन की चर्चा क्यों?
भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को पांच अगस्त 2019 को समाप्त करते हुए राज्य को दो भागों में विभाजित करते हुए केंद्रशासित प्रदेश बना दिया। यूनियन टेरिटरी बन जाने के बाद इन राज्यों की सीटों पर परिसीमन भारतीय संविधान के तहत होना है। गत छह मार्च 2020 को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अगुवाई में परिसीमन आयोग का गठन किया। इस आयोग को एक साल के भीतर इन राज्यों की सीटों पर परिसीमन का काम पूरा करने का दायित्व सौंपा गया। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के मुताबिक जम्मू-कश्मीर की विधानसभा सीटों की संख्या 107 से बढ़कर 114 हो जाएगी। बताया जाता है कि सीटों में होने वाले इस बदलाव का फायदा जम्मू क्षेत्र को मिलेगा।
आयोग में ये लोग शामिल
परिसीमन आयोग में देसाई के अलावा चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा, जम्मू-कश्मीर राज्य चुनाव आयुक्त केके शर्मा पदेन सदस्य हैं। आयोग के पांच अन्य सदस्यों में नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, मोहम्मद अकबर लोन एवं हसनैन मसूदी, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, भाजपा के जुगल किशोर शर्मा शामिल हैं।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।