MiG-21 crash : बाड़मेर में गुरुवार रात Mig-21 बायसन एयर क्राफ्ट के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद एक बार फिर छह दशक पुराने इन लड़ाकू विमानों को रिटायर करने की मांग उठने लगी है। इस हादसे में भारतीय वायुसेना के दो पायलट्स की जान चली गई। बाड़मेर में बीती रात हुआ यह हादसा पिछले डेढ़ साल में होने वाले क्रैश में से छठा था। इससे पहले दिसंबर 2021 में भी मिग-21 क्रैश में भारतीय वायुसेना ने अपना एक होनहार पायलट गंवा दिया था। 1963 में भारतीय वायु सेना में इंडक्शन के बाद से मिग-21 के अब तक 400 से ज्यादा क्रैश रिपोर्ट किए जा चुके हैं जिसमें 200 से ज्यादा पायलट अपनी जान गंवा चुके हैं।
इन हादसों की वजह से मिग-21 को फ्लाइंग कॉफिन या विडो मेकर का नाम दे दिया गया है। भारतीय वायुसेना के पास मिग-21 बायसन के चार स्क्वाड्रन ऑपरेशन में है। एक स्क्वाड्रन में 16 से 18 जेट होते हैं। मिग-21 बायसन इस सीरीज का सबसे लेटेस्ट वैरीअंट है। लेकिन इसके बावजूद बार-बार यही विमान दुर्घटना का शिकार होता आया है।
आखिर क्या वजह है कि अब तक मिग-21 भारतीय वायु सेना में ऑपरेशन में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। नए लड़ाकू विमानों के इंडक्शन में होने वाली देरी की वजह से अब तक मिग-21 एयरक्राफ्ट को रिटायर नहीं किया जा सका है। जानकारों के मुताबिक अभी भारतीय वायुसेना को अगले 3 से 4 सालों तक मिग-21 इस्तेमाल करने पड़ सकते हैं। जिसके बाद इन्हें फेस आउट कर दिया जाएगा। फिलहाल भारतीय सेना भारतीय वायु सेना के पास लगभग 31 स्क्वाड्रन की संख्या है जबकि इसे 42 स्क्वाड्रन तक होना चाहिए। लगातार नए इंडक्शन के जरिए इस संख्या बल को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है लेकिन अब भी कमी बरकरार है।
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1963 से अब तक भारतीय वायुसेना ने सोवियत मेक के 874 मिग-21 इंडक्ट किए हैं। यह भारतीय वायु सेना के बेड़े के सबसे शक्तिशाली विमान माने जाते हैं। जिन्होंने बालाकोट जैसे स्ट्राइक्स में हिस्सा लिया। ग्रुप कैप्टन अभिनंदन वर्तमान ने भी MiG-21 बायसन से ही पाकिस्तान के F-16 को मार गिराया था जिसके बाद उन्हें वीर चक्र प्रदान किया गया। बाड़मेर में हुए हादसे के बाद छह दशक से ज्यादा पुराने हो चुके मिग-21 विमानों को जल्द से जल्द रिटायर करने की मांग एक बार फिर तेज हो गई है।
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