नई दिल्ली : अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे से उपजे हालात के बीच बहुत से लोगों को देश छोड़ना पड़ा, जिनमें अफगानिस्तान की पहली गैर-मुस्लिम महिला सांसद अनारकली कौर होनरयार भी हैं। उनका कहना है कि जिन हालातों में वह अपने मुल्क से निकलीं, उसमें उन्हें देश की धरती से मुट्ठीभर मिट्टी लेने का मौका भी नहीं मिला। दहशत के माहौल से निकलीं सांसद ने भारत में रहते हुए अब अपना काम जारी रखने की बात कही है।
अफगान सांसद ने कहा, 'मुझे अपने देश की एक मुट्ठी मिट्टी लेने का भी समय नहीं मिला... मेरे देश की एक यादगार। मैं उड़ान भरने से पहले हवाई अड्डे पर बस धरती को छूभर पाई थी।' उन्होंने कहा कि वह दिल्ली से अपने देश के लिए काम करती रहेंगी। उन्होंने कहा, 'मैंने तालिबान के खिलाफ बहुत कुछ कहा। मेरे विचार और सिद्धांत उनके (तालिबान के) बिल्कुल विपरीत हैं। मैं जीवित और आशान्वित हूं। मैं दिल्ली से अफगानिस्तान के लिए काम करना जारी रखूंगी।'
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे से उपजे हालात के बीच अफगान सांसद ने कहा, 'बीते 20 साल में बहुत कुछ किया गया, पर अब मुल्क एक बार फिर 100 साल पीछे चला गया।' तालिबान राज में महिलाओं के भविष्य को लेकर उन्होंने कहा, 'तालिबान ने कहा कि किसी को नुकसान नहीं होगा। लेकिन शांति का मतलब अहिंसा नहीं है। शांति का मतलब है कि वे महिलाओं को समान रूप से स्वीकार करें और उनके अधिकारों को पहचानें।'
इससे पहले अफगानिस्तान के सांसद नरेंदर खालसा उस वक्त मीडिया से बात करते हुए भावुक हो गए थे, जब भारत आने के बाद उनसे अफगानिस्तान के हालात को लेकर सवाल किया गया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में उनका परिवार पीढ़ियों से रह रहा था, लेकिन उन्होंने अब जो कुछ भी वहां देखा, वैसा पहले कभी नहीं देखा था। यह कहते हुए वह रो पड़े थे कि अब सबकुछ खत्म हो गया है, 20 साल पहले जो कुछ भी बना था, वह अब नहीं रहा।
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