खरगोन हिंसा पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के सीनियर नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि पंडित द्वारका, पंडित मिश्रा मुझसे कहा करते थे कि जब तक सीएम नहीं चाहते तब तक दंगे नहीं हो सकते। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद मैं मुख्यमंत्री बना। 2003 तक कोई दंगा क्यों नहीं हुआ? क्योंकि मैंने सांप्रदायिक तनाव भड़काने वालों को गिरफ्तार किया था।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि आज जो हो रहा है वह प्रशासन की विफलता है। सांप्रदायिक तनाव बीजेपी सरकार का सबसे बड़ा हथियार है, वे इसका राजनीतिक उपयोग हिंदुओं और मुसलमानों को विभाजित करने के लिए करते हैं। इसकी जांच होनी चाहिए कि ये पत्थर कहां से आए? किसने पथराव किया? क्यों बदला गया रूट?
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि देश के अलग-अलग राज्यों में रामनवमी के त्योहार पर भड़के सांप्रदायिक दंगे पूरी तरह प्रायोजित हैं और इनके पीछे एक पैटर्न (तय स्वरूप) काम कर रहा है। धार्मिक उन्माद को सत्तारूढ़ बीजेपी का सबसे बड़ा हथियार बताते हुए सिंह ने यह दावा भी किया कि कुछ मुस्लिम संगठन बीजेपी के साथ मिलकर सियासी खेल खेलते हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह रामनवमी पर अलग-अलग राज्यों में हुई सांप्रदायिक घटनाओं के पीछे कोई पैटर्न देखते हैं, उन्होंने तुरंत कहा कि निश्चित तौर पर एक पैटर्न है और ये घटनाएं पूरी तरह प्रायोजित हैं। कुछ ऐसे मुस्लिम संगठन हैं जो पूरे तरीके से बीजेपी के साथ मिलकर खेलते हैं। सिंह ने हालांकि कथित मुस्लिम संगठनों के नाम जाहिर नहीं किए। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी के लिए धार्मिक उन्माद सबसे बड़ा हथियार है जिसका हिंदुओं और मुसलमानों को बांटने के लिए राजनीतिक दुरुपयोग किया जाता है।
राज्यसभा सांसद ने यह भी कहा कि मुझे इस बात का दु:ख है कि हालिया दंगे-फसाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप हैं, जबकि किसी व्यक्ति की अंगुली में चोट लगने पर भी वह ट्वीट कर देते हैं या बयान दे देते हैं। सिंह के उनके एक विवादास्पद ट्वीट को लेकर भोपाल सहित मध्यप्रदेश के पांच शहरों में उन पर आपराधिक मामले दर्ज किए जाने पर कहा कि उन्होंने इस ट्वीट में यह सवाल ही तो पूछा था कि क्या किसी धार्मिक स्थल पर उस धर्म के लोगों की इजाजत के बगैर दूसरे धर्म का झंडा फहराना उचित है?
राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके सिंह ने कहा कि मैंने जीवन भर भाईचारे, प्रेम, सद्भाव और अहिंसा की बात की। लेकिन मुझ पर दंगा भड़काने और सांप्रदायिक उन्माद फैलाने के आरोपों में मामले दर्ज कर लिए गए। सिंह ने खरगोन के दंगों के लिए जिला प्रशासन और पुलिस को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि सरकारी खुफिया तंत्र इस संवेदनशील कस्बे में सांप्रदायिक घटनाएं रोकने में नाकाम रहा। उन्होंने खरगोन दंगों के हालात की विस्तृत जांच की मांग भी की।
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